मैसूरु, एक अक्टूबर (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और अन्य के खिलाफ मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस की एक टीम ने मंगलवार को उस भूमि का सर्वेक्षण किया, जिसके बदले में 14 भूखंड ‘‘अवैध रूप’’ से सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती बी.एम. को आवंटित किए गए थे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भूमि सर्वेक्षण के दौरान विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी, सर्वेक्षक और एमयूडीए के नगर नियोजन सदस्य भी लोकायुक्त टीम के साथ थे।
सूत्रों ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा भी मौजूद थे, जिनकी शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने सिद्धरमैया, उनकी पत्नी और दो अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
जांच अधिकारियों द्वारा जारी नोटिस के बाद कृष्णा आज यहां लोकायुक्त पुलिस के समक्ष पेश हुए।
इस बीच, पार्वती द्वारा 14 भूखंडों के स्वामित्व और कब्जा छोड़ने के निर्णय से संबंधित पत्र आज उनके पुत्र एवं विधान परिषद सदस्य यतीन्द्र सिद्धरमैया द्वारा व्यक्तिगत रूप से एमयूडीए आयुक्त ए.एन. रघुनंदन के कार्यालय को सौंपा गया।
एमयूडीए के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘प्राप्त पत्र पर कानूनी प्रावधानों के आधार पर आगे कोई कदम उठाया जाएगा।’’
पार्वती ने सोमवार को एमयूडीए को पत्र लिखकर अपनी 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें आवंटित 14 भूखंडों को वापस करने की इच्छा जताई और कहा कि उनके लिए कोई भी भूखंड, घर, संपत्ति और धन उनके पति के सम्मान, गरिमा, प्रतिष्ठा और मानसिक शांति से बढ़कर नहीं है।
इससे कुछ घंटे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लोकायुक्त पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर संज्ञान लेते हुए एमयूडीए की ओर से उनकी पत्नी को 14 स्थलों के आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की, जो पुलिस की प्राथमिकी के समान होती है।
एमयूडीए ने मुख्यमंत्री की पत्नी की संपत्ति का ‘अधिग्रहण’ किया था और इसके कथित मुआवजे के तौर पर मैसूरु के पॉश इलाके में भूखंड आवंटित किए थे।
आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में मुआवजे के तौर पर जो भूखंड आवंटित किये गये थे, उनकी कीमत एमयूडीए द्वारा अधिग्रहीत की गयी जमीन की तुलना में काफी अधिक थी।
एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे, जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे।
इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी, जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी।
आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।
भाषा
शफीक नरेश
नरेश
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