नई दिल्ली: प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और देश की ‘हरित क्रांति’ में अहम योगदान देने वाले एम एस स्वामीनाथन का बृहस्पतिवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। (MS Swaminathan Kaun The) उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। एम एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया कि उनका कुछ वक्त से उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और साथ ही कहा कि कृषि क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदला और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। पीएम ने स्वामीनाथन को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था तथा उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। मोदी ने ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, ‘‘डॉ एम एस स्वामीनाथन के निधन से गहरा दुख हुआ। हमारे देश के इतिहास में एक बहुत ही नाजुक अवधि में, कृषि में उनके अभूतपूर्व योगदान ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि में अपने क्रांतिकारी योगदान से इतर, स्वामीनाथन नवाचार के ‘पावरहाउस’ और कई लोगों के लिए वह एक कुशल संरक्षक भी थे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं डॉ स्वामीनाथन के साथ अपनी बातचीत को हमेशा संजोकर रखूंगा। भारत को प्रगति करते देखने का उनका जुनून अनुकरणीय था। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।’’
Deeply saddened by the demise of Dr. MS Swaminathan Ji. At a very critical period in our nation’s history, his groundbreaking work in agriculture transformed the lives of millions and ensured food security for our nation. pic.twitter.com/BjLxHtAjC4
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023
हरित क्रान्ति के जनक रहे एम.एस. स्वामीनाथन जिनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामिनाथन है, उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के कुम्भकोणम में हुआ था। कृषि के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य रहा। उन्होंने गेहूं की सबसे बेहतरीन उपज देने वाली किस्मों को विकसित किया, जिसकी मदद से सतत विकास को बढ़ावा दिया गया। दरअसल, देश के भीतर कृषि हमेशा से ही परम्परागत तरीकों और अनुसंधानों पर ही आधारित रहा। अंग्रेजों से मुक्ति मिलने के बावजूद किसी ने भी किसानों को शिक्षित नहीं किया था, ऐसे में अकाल जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगी, वो भी कृषि प्रधान देश में। इसके पीछे का मुख्य कारण सदियों से चले आ रहे उपकरण और फसलों की उन्नति के लिए बीजों में सुधार का न होना था। एम. एस. स्वामीनाथन ही वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और उससे किसानों को अवगत कराया। उन्हें किसानों का मसीहा भी कहा जाता है।
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