आइजोल, 14 सितंबर (भाषा) संकटग्रस्त म्यामां से पिछले कुछ दिनों में 1,800 से ज्यादा लोगों के मिजोरम में प्रवेश करने की सूचना है। इस आशय की जानकारी राज्य के गृह मंत्री लालचामलियाना ने मंगलवार को दी।
हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्हें अभी तक इस संबंध में दस्तावेज प्राप्त नहीं हुए हैं।
फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद से लोग लगातार म्यामां से भाग रहे हैं। तख्तापलट के बाद म्यांमा की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार निर्वासन में चली गयी है। तख्तापलट के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के खिलाफ सैन्य सरकार लगातार बल प्रयोग कर रही है।
गृह मंत्री लालचामलियाना ने बताया कि मिजोरम में प्रवेश करने वाले म्यामां के ज्यादातर शरणार्थी पड़ोसी चिन प्रांत के रहने वाले हैं।
उन्होंने पीटीआई/भाषा को बताया, ‘‘मुझे सूचना मिली है कि म्यामां से करीब 1,850 लोगों ने मिजोरम के सीमावर्ती जिलों चम्फाई, हनाथियाल और लांगतलाई में पिछले कुछ दिनों में प्रवेश किया है। मुझे इस संबंध में अभी तक आधिकारिक दस्तावेज नहीं मिले हैं, क्योंकि मैं कोरोना वायरस से संक्रमित अपने पोते/नातियों के संपर्क में आने के बाद पृथकवास में हूं।’’
उन्होंने कहा कि म्यामां से आने वाले लोगों को देश में शरण देने के राज्य सरकार के अनुरोध पर केन्द्र से अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘जान के खतरे को भांपते हुए देश छोड़कर भागने वाले म्यामां के नागरिकों को शरण या राहत देने के संबंध में केन्द्र सरकार ने अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की है। हालांकि, वह मिजोरम से पहले की तरह शरणार्थियों को वापस भेजने को भी नहीं कह रही है।’’
गृहमंत्री ने राज्य विधानसभा को पिछले सप्ताह बताया था कि राज्य सरकार ने मानवीय आधार पर शरणार्थियों की सहायता के लिए 30 लाख रुपये जारी किए हैं।
मार्च की शुरुआत में मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर म्यामां से आने वाले नागरिकों को शरण और सहायता मुहैया कराने का अनुरोध किया था।
राज्य के एकमात्र लोकसभा सदस्य सी. लालरोसांगा के नेतृत्व में राज्य का शिष्टमंडल मार्च के मध्य में दिल्ली गया था और इस मुद्दे पर केन्द्रीय मंत्रियों के साथ चर्चा की थी।
गौरतलब है कि मिजोरम के छह जिले चम्फाई, सिआहा, लांगतलाई, सेरछिप, हनाथिआल और सैतुआल, म्यामां के चिन प्रांत के साथ 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
चिन समुदाय और मिजो समुदाय के पूर्वज एक ही हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत-म्यामां की सीमा पर रहने वाले ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर पर धन जुटाकर शरणार्थियों के लिए राहत शिविर लगाए हैं।
उन्होंने बताया कि स्थानीय लोग उन्हें भोजन और अन्य चीजें मुहैया करा रहे हैं।
भाषा अर्पणा दिलीप
दिलीप
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