नई दिल्लीः Indian Economy amid Russia-Ukraine War रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया भर में उथल-पुथल मची हुई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में इसका असर देखने को मिल रहा है। तेल और यूरिया जैसी आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बाधित सी हो गई है। कई देशों में इस लड़ाई के चलते तेल की कमी महसूस की गई है। इसके अलावा कई अहम वस्तुओं के आयात-निर्यात पर प्रभाव पड़ा। यह युद्ध भले ही भारत से हजारों मील दूर हो रहा है, लेकिन यह एनर्जी सेक्टर में बाधा डालने के लिए काफी है। इन सबके बीच मोदी सरकार का भारत में तगड़ा मैनेजमेंट देखने को मिला। हमेशा से दुनिया को शांति का संदेश देने वाला भारत इस युद्ध को लेकर भी शांति का प्रयास कर रहा है और बातचीत से हल निकालने पर जोर दे रहा है। यही वजह है कि भारत को किसी भी चीज की आपूर्ति के लिए कोई दिक्कत नहीं हुई है।
Indian Economy amid Russia-Ukraine War वैश्विक संकट के बावजूद भारत ने इन चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना किया। जहां वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें आसमान छू रही थीं, वहीं भारत ने यूरोप और अमेरिका द्वारा मास्को पर लगाए गए प्रतिबंध को दरकिनार करते हुए रूस से सस्ता तेल खरीदना न केवल जारी रखा बल्कि इसकी मात्रा और बढ़ा दी गई। इसका लाभ यह हुआ कि सप्लाई और डिमांड के कारण अरब से आने वाले महंगे तेल का का आयात भारत को नहीं करना पड़ा। जिससे देश में आम महंगाई भी कंट्रोल की जा सकी। सरकार ने कूटनीतिक चैनलों का भी प्रभावी उपयोग किया, जिससे पश्चिमी देशों के साथ संतुलन बनाए रखने के साथ-साथ रूस से महत्वपूर्ण तेल आयात जारी रहा। हालांकि अकस्मात हुए इस वैश्विक घटना से भारत में भी ईंधन की कीमतें कुछ बढ़ी तो जरूर लेकिन मोदी सरकार की इस रणनीति के कारण नियंत्रण से बाहर नहीं गईं।
भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। यहां भारी मात्रा में यूरिया सहित अन्य उर्वरकों का उपयोग होता है। मोदी सरकार ने उपभोक्ताओं और किसानों को आर्थिक गिरावट से बचाने के लिए कई उपायों को लागू किया है, जिसके कारण देश में यूरिया की निरंतर आपूर्ति होती रही। उल्लेखनीय रूप से, पिछले वर्ष में यूरिया के लिए सब्सिडी दोगुनी हो गई है, जो इन कठिन समय के दौरान कृषि क्षेत्र का समर्थन करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कई महत्वपूर्ण चीजों की आपूर्ति बाधित हो गई थी, लिहाजा देश में पेट्रोल-डीजल समेत अन्य वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी होने की संभावना थी, लेकिन मोदी सरकार ने अपने राजनायिक और कुटनीतिक संबंधों से चलते ऐसा नहीं होने दिया। दोनों देशों में सभी चीजों की सप्लाई बराबर होती रही और देश में महंगाई नियंत्रण में रहा। सरकार के इस समायोजित दृष्टिकोण ने यह सुनिश्चित किया कि महंगाई एक चुनौती बनी रही, लेकिन उसने अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने वाला रूप नहीं लिया।