नईदिल्ली: भारत आज हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। फिर चाहे वह कृषि हो, तकनीक या फिर ऑटोमोबाइल्स। भारत में बढ़ते संसाधन और इससे बढ़ती धाक पर दुनिया भर की नजरें है। (Modi sarkar ki 9 saal ki uplabdhiyan) वही भारत ने अगर बीते दशकों में किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास किया वह है रक्षा का क्षेत्र। फिर चाहे वह मेक इन इण्डिया के तहत रक्षा उत्पाद का निर्माण हो या फिर उनका निर्यात।
दरअसल केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि वित्तीय वर्ष FY14 और FY23 के बीच भारत का सैन्य निर्यात 23 गुना बढ़ गया। जबकि सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, विदेशों से हथियारों और प्रणालियों की सोर्सिंग पर खर्च 2018-19 में कुल व्यय का 46 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2022 में 36.7 प्रतिशत हो गया।
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अपनी नौवीं वर्षगांठ पर विभिन्न क्षेत्रों में केंद्र सरकार की उपलब्धियों को चिह्नित करते हुए रक्षा डेटा उसी को प्रतिबिंबित करता है। इस बारे में बताया गया “भारत का रक्षा निर्यात अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 16,000 करोड़ रुपये हो गया है। यह उल्लेखनीय 23 गुना वृद्धि वैश्विक रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाती है,”।
इस महीने की शुरुआत में, भारत ने घोषणा की कि क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों के कारण देश में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। 2022-23 में यह आंकड़ा 1,06,800 करोड़ रुपये रहा, जबकि 2021-22 में यह 95,000 करोड़ रुपये और पांच साल पहले 54,951 करोड़ रुपये था।
भारत तेजस हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए), विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, टैंक, तोपखाने बंदूकें, युद्धपोत, मिसाइल, रॉकेट और विभिन्न प्रकार के सैन्य वाहनों सहित हथियारों और प्रणालियों का उत्पादन करता है। (Modi sarkar ki uplabdhiyan) देश का लक्ष्य 2024-25 तक रक्षा विनिर्माण में 1,75,000 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का है।
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