मोदी सरकार से ईसाई अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर कड़े सवाल पूछे जाने चाहिए: डेरेक ओ ब्रायन |

मोदी सरकार से ईसाई अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर कड़े सवाल पूछे जाने चाहिए: डेरेक ओ ब्रायन

मोदी सरकार से ईसाई अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर कड़े सवाल पूछे जाने चाहिए: डेरेक ओ ब्रायन

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Modified Date: January 3, 2025 / 01:12 PM IST
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Published Date: January 3, 2025 1:12 pm IST

नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार से ईसाई समुदाय के मुद्दे पर कठोर सवाल पूछे जाने चाहिए, जिसमें यह भी शामिल है कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) का हथियार के रूप में इस्तेमाल और मणिपुर के लोगों को ‘नजरअंदाज’ क्यों किया गया।

ब्रायन ने इस मुद्दे पर चर्च को घेरने की भी कोशिश की । कुछ ही दिनों पहले प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में ‘कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई)’ द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लिया था।

शुक्रवार को एक लेख में ओ ब्रायन ने कहा कि ईसाई समुदाय की आवाज को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘ये कठिन सवाल हैं जो भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पूछे जाने चाहिए। कई क्रिसमस बीत चुके हैं, अब जवाब मांगे जाने चाहिए।’

ओ ब्रायन ने पूछा, ‘आपने क्रिसमस दिवस को ‘सुशासन दिवस’ में बदलने का प्रयास क्यों किया? आप ईसाई समुदाय द्वारा संचालित संस्थाओं को विशेष रूप से निशाना बनाने के लिए विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) का हथियार के रूप में उपयोग क्यों कर रहे हैं?’

ओ ब्रायन ने पूछा,’आपने मणिपुर के लोगों को पूरी तरह से नजरअंदाज क्यों किया? आप संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले धर्मांतरण विरोधी कानूनों को प्रोत्साहित और पारित क्यों कर रहे हैं?’

ओ ब्रायन ने यह भी पूछा कि सरकार वक्फ बिल को आगे क्यों बढ़ा रही है और अल्पसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक क्यों खेल रही है, खासकर केरल में।

उन्होंने सवाल किया, ‘आप कभी भी नफरत भरे भाषणों और सांप्रदायिक अपशब्दों की निंदा करते हुए एक शब्द भी क्यों नहीं कहते?’

तृणमूल नेता ने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित संस्थाओं पर हमले बढ़ रहे हैं और सवाल किया कि ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं?

उन्होंने कहा, ‘भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2014 के बाद से दो बार संयुक्त राष्ट्र की मान्यता क्यों खो दी? क्या आपको फादर स्टेन स्वामी याद हैं? सिपर? स्ट्रा?, मौत?’

आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और जेसुइट पादरी स्वामी की जुलाई 2021 में कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद हृदयाघात से हिरासत में मृत्यु हो गई थी।

ओ ब्रायन ने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन के अपने दो दशकों में, जिसमें संसद में तीन कार्यकाल भी शामिल हैं, मैंने कई विषयों पर लेख लिखे हैं, लेकिन भारत में चर्च पर कभी कोई लेख नहीं लिखा। यह पहली बार है। इसे लिखे जाने की जरूरत थी। इस विषय पर और अधिक चुप्पी मुझे भी इसमें भागीदार बना देगी।’

मोदी ने क्रिसमस से पहले राष्ट्रीय राजधानी में सीबीसीआई द्वारा आयोजित समारोह में भाग लिया था। इससे पहले दिसंबर में संगठन के साथ एक बैठक में कई ईसाई सांसदों ने अल्पसंख्यकों से संबंधित मामलों की स्थिति पर चिंता जताई थी।

ओ ब्रायन ने कहा कि सीबीसीआई द्वारा बुलाई गई बैठक में ईसाई सांसदों द्वारा कई मुद्दे उठाए गए, जिसके दौरान उन्होंने चर्च निकाय से ‘फोटो अवसर’ पर रोक लगाने का आग्रह किया।

तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा, ‘ईसाई नेतृत्व को उन लोगों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए जो संविधान की रक्षा नहीं कर रहे हैं।’

भाषा योगेश नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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