नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में हालांकि सरकारी कर्मचारियों को निराश किया है। वहीं, दूसरी ओर निजी क्षेत्र में काम कर रहे कर्मचारियों के लिए मोदी सरकार ने खुशियों की सौगात दी है। सरकार ने न्यूनमत मासिक सैलरी को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने कहा है कि र्मचारियों को उनके काम के बदले न्यूनतम वेतन देना आवश्यक है और जिन कंपनियों के खिलाफ इस संबंध में शिकायतें आएंगी, उनकी जांच करायी जाएगी और मानकों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Read More: मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, इन जिलों में आगामी 24 घंटे के भीतर भारी बारिश की संभावना
कार्मिक एवं लोक शिकायत मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को सदन में पूरक प्रश्न के जवाब में कहा है कि मोदी सरकार ने 2017 में न्यूनतम वेतन कानून में संशोधन किया और ऐसा 65 वर्ष बाद हुआ है। न्यूनतम मजदूरी 40 प्रतिशत बढ़ाई गई है। अब कर्मचारियों का न्यूनतम वेतनमान 18 हजार से 24 हजार कर दिया गया है। कर्मचारियों के लिए यह कानून बनाया गया है। जिस भी कंपनी के खिलाफ इस कानून का उल्लंघन करने की जानकारी मिलेगी उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अनुबंध आधारित नियुक्तियों में आरक्षण देने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि जिन संस्थानों में 45 दिन से ज्यादा समय के लिए नियुक्ति की जाती है वहां इस तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं लेकिन जहां ठेकेदार नियुक्तियां करते हैं वहां आरक्षण लागू करना संभव नहीं है। ठेकेदार अपने हिसाब से लोगों को नियुक्त करते हैं।
Read More रेणू जैन बनी डीएवीवी की नई कुलपति, 26 जुलाई को संभालेगी पदभार
दूसरी ओर सरकार ने बीते दिनों अपने अधिनस्थ कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के तहत कर्मचारियों के डीए में वृद्धि करने का फैसला लिया था। इसके साथ ही कई राज्य की सरकारों ने भी कर्मचारियों के डीए में बढ़ोतरी किया था।
<iframe width=”560″ height=”315″ src=”https://www.youtube.com/embed/6t6RspP-7bY” frameborder=”0″ allow=”accelerometer; autoplay; encrypted-media; gyroscope; picture-in-picture” allowfullscreen></iframe>