नई दिल्ली: एक ओर जहां देश मंदी की मार झेल रहा है वहीं, दूसरी ओर मोदी कैबिनेट की बैठक में मंत्रिमंडल ने बैंकिंग सेक्टर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट बैठक में सरकार ने सरकार और एलआईसी, आईडीबीआई बैंक में 9,000 करोड़ रूपए निवेश करेंगे। इस निवेश में सरकार की ओर से 4,553 करोड़ रूपए की हिस्सेदारी रहेगी।
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कैबिनेट बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को बताते हुए कहा है कि पिदले दो साल से सरकार ने जो मर्जर किए हैं, उससे दोनों को फायदा हुआ है। बता दें कि बैंकिंग सेक्टर की हालत खराब है और सरकार इस सेक्टर की स्थिति को सुधारने के लिए गंभीरता से विचार कर रही है। हाल ही आरबीआई ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ देने का फैसला लिया है। इसके साथ ही बैंकों की उम्मीद तेज हो गई है कि सरकार बैंकों की मदद कर सकती है।
बता दें, एलआईसी के अनुषंगी आईडीबीआई बैंक को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों को 3,800.84 करोड़ रूपए का घटा हुआ है। जबकि सालभर पहले यह घाटा अप्रैल -जून 2,409.89 करोड़ रूपए था। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में बैंक का फंसे कर्ज यानी एनपीए के लिए प्रावधान बढ़कर 7,009.49 करोड़ रुपए हो गया। 2018-19 की अप्रैल-जून अवधि में यह आंकड़ा 4,602.55 करोड़ रुपए था।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पब्लिक सेक्टर के आईडीबीआई बैंक को प्राइवेट सेक्टर के बैंक की कैटेगरी में रख दिया है। दरअसल, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने कर्ज में डूबे आईडीबीआई बैंक को उबारने के लिए उसमें 51 फीसदी की हिस्सेदारी ली है।
आईडीबीआई की वेबसाइट के मुताबिक उसके 1892 ब्रांच हैं जबकि 1407 सेंटर हैं.वहीं बैंक के एटीएम, 3705 हैं। बैंक से लाखों ग्राहक जुड़े हैं। IDBI बैंक को आरबीआई के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई रूपरेखा के अंतर्गत रखा गया है। यह कंपनियों को दिये जाने वाले लोन और शाखा विस्तार, वेतन वृद्धि के अलावा अन्य नियमित गतिविधियों पर रोक लगाता है।
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भाजपा नेता संदीप वारियर कांग्रेस में शामिल
7 hours ago