कोडरमा। दुनिया में आज हर कोई शख्स मोबाइल से जुड़ा हुआ है। मोबाइल के बिना कुछ भी काम नहीं हो सकता है। डिजिटल दुनिया में भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आज भी मोबाइल से बात करना किसी सपने से कम नहीं है। आज हम आपको झारंखड के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लोगों को शहनाई की गूंज से भी प्यारा मोबाइल का रिंगटोन लगता है। वहीं फोन पर बात करने के लिए लोगों को टापू की ओर दौड़ लगानी पड़ती है।
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कोडरमा जिले में एक ऐसा गांव भी है, जहां लोग कॉल करने के लिए चौखट की दहलीज पार कर ऊंची जगह या टापू चढ़ने होते हैं। डोमचांच प्रखण्ड अंतर्गत बंगाखलार पंचायत में जंगल. पहाड़ से घिरे कई गांव-टोले हैं। इनमें ज्यादातर गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं रहता है। यहीं कारण है कि लोगों को मजबूरी में मोबाइल लेकर टापू पर या ऊंचे स्थान पर कॉल करने या कॉल सुनने के लिए दौड़ लगानी पड़ती है।
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बंगाखलार पंचायत के इस गांव में सभी के पास मोबाइल तो हैं लेकिन नेटवर्क नहीं होने के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बताते हैं कि कॉल आने.जाने के लिए लोग अपना मोबाइल घर से बाहर रखते हैं, ताकि मोबाइल का रिंगटोन बजे तो कॉल करने के लिए टापू या ऊंची स्थान पर जा सकें। यहां के बच्चे कार्टून या वीडियो को ऑनलाइन नहीं देख पाते, इसलिए नेटवर्क वाले जगह पर जाकर वीडियो डाउनलोड कर बाद में इत्मीनान से देख कर अपना मनोरंजन करते हैं।
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