पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने पर मिश्रित प्रतिक्रिया |

पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने पर मिश्रित प्रतिक्रिया

पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने पर मिश्रित प्रतिक्रिया

:   Modified Date:  September 15, 2024 / 04:43 PM IST, Published Date : September 15, 2024/4:43 pm IST

पोर्ट ब्लेयर, 15 सितंबर (भाषा) अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने पर इसके निवासियों के बीच मिश्रित प्रतिक्रिया हुई है। कई लोगों ने इस कदम को निरर्थक करार दिया है, तो अन्य लोगों का कहना है कि यह ‘औपनिवेशिक प्रतीकों’ को मिटाने के लिए एक आवश्यक कदम था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ कर दिया गया है।

उन्होंने कहा था, ‘‘पूर्व नाम एक औपनिवेशिक विरासत था, लेकिन श्री विजयपुरम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हासिल की गई जीत और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की इसमें अद्वितीय भूमिका का प्रतीक है।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने की सराहना की थी और कहा था कि यह औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने और ‘‘हमारी विरासत का जश्न मनाने’’ की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हालांकि, केंद्र शासित प्रदेश के कई निवासियों ने इस फैसले की आलोचना की।

लोकल बॉर्न एसोसिएशन (एलबीए) के अध्यक्ष राकेश पाल गोबिंद ने दावा किया कि नाम बदलने का काम समूह और अन्य स्थानीय लोगों से बिना किसी परामर्श के किया गया।

गोबिंद ने कहा कि उन्हें समाचार चैनलों के माध्यम से पता चला कि केंद्रीय गृह मंत्री ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया है। उन्होंने कहा कि द्वीपवासी गहरे सदमे में हैं क्योंकि इस निर्णय के बारे में इन स्थानीय लोगों से सलाह नहीं ली गई।

अमीर अली (87) को यह फैसला अपने पूर्वजों का ‘अपमान’ लगता है जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने जीवन का बलिदान दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने बिना परामर्श के शहर का नाम बदल दिया है।’’

पोर्ट ब्लेयर के जाने-माने व्यापारी टीएसजी भास्कर ने कहा कि नाम उस समय के किसी स्वतंत्रता सेनानी और गुमनाम नायकों को सम्मानित करने के लिए उनके नाम पर रखा जा सकता था।

सरकार के कदम का स्वागत करते हुए अंडमान-निकोबार द्वीप समूह से भाजपा सांसद बिष्णु पद रे ने कहा कि नाम बदलने की बहुत जरूरत थी।

रे ने कहा, ‘‘पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलने की बहुत जरूरत थी क्योंकि पिछला नाम हमें ब्रिटिश शासन के दौरान गुलामी की याद दिलाता था।’’

इतिहासकारों ने उल्लेख किया है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का उपयोग 11वीं शताब्दी के चोल सम्राट राजेंद्र प्रथम द्वारा श्रीविजय (अब इंडोनेशिया) पर हमला करने के लिए एक रणनीतिक नौसैनिक अड्डे के रूप में किया गया था।

इतिहासकार पी. सरकार ने कहा, ‘‘दक्षिण भारत के चोल राजवंश ने एक विशाल समुद्री क्षेत्र पर शासन किया। चोलों ने श्रीविजय साम्राज्य पर हमला करने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को एक आधार के रूप में इस्तेमाल किया। 1,050 ईस्वी के तंजावुर शिलालेख में इन द्वीपों को राजेंद्र चोल प्रथम के शासन के दौरान ‘नक्कावरम’ के रूप में संदर्भित किया गया था।

सरकार ने कहा, ‘‘ब्रिटिश सर्वेक्षक आर्चीबाल्ड ब्लेयर के सम्मान में चार अप्रैल, 1858 को अंडमान समिति के अध्यक्ष फ्रेडरिक जॉन माउट द्वारा इसका नाम बदलकर पोर्ट ब्लेयर किए जाने तक बंदरगाह क्षेत्र को ‘ओल्ड हार्बर’ के नाम से जाना जाता था।’’

भाषा संतोष नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)