'लापता लेडीज' की लेखिका ने विवादास्पद एफएफआई ऑस्कर प्रशस्ति पत्र पर कहा : संदेह का लाभ मिले |

‘लापता लेडीज’ की लेखिका ने विवादास्पद एफएफआई ऑस्कर प्रशस्ति पत्र पर कहा : संदेह का लाभ मिले

'लापता लेडीज' की लेखिका ने विवादास्पद एफएफआई ऑस्कर प्रशस्ति पत्र पर कहा : संदेह का लाभ मिले

:   Modified Date:  September 24, 2024 / 07:42 PM IST, Published Date : September 24, 2024/7:42 pm IST

(राधिका शर्मा)

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) ‘लापता लेडीज’ की पटकथा लेखिका स्नेहा देसाई का कहना है कि ऑस्कर 2025 में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में फिल्म को चुनने के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (एफएफआई) के प्रशस्ति पत्र को वह ‘‘बहुत गंभीरता से’’ नहीं लेना चाहेंगी, क्योंकि इसे कोई भी व्यक्ति तैयार कर सकता था।

एफएफआई हर साल अंतरराष्ट्रीय फिल्म श्रेणी में भारत की प्रविष्टि का चयन करती है। इस साल निकाय की 13 सदस्यीय जूरी में सभी पुरुष थे। किरण राव निर्देशित फिल्म के लिए अपनी टिप्पणी को लेकर निकाय को ऑनलाइन उपहास का पात्र बनना पड़ा। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा कि यह संक्षिप्त विवरण उस संदेश के खिलाफ है जो फिल्म देने की कोशिश करती है।

एफएफआई ने अपने प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘‘भारतीय महिलाएं अधीनता और प्रभुत्व का अजीब मिश्रण हैं। एक दुनिया में अच्छी तरह से परिभाषित, शक्तिशाली चरित्र – लापता लेडीज़ (हिंदी) इस विविधता को पूरी तरह से दर्शाती है… विनोदी तरीके से।’’

देसाई खुश हैं कि निर्णायक मंडल में कोई महिला सदस्य नहीं होने के बावजूद यह फिल्म विश्व मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह उद्धरण इस बात का स्पष्ट संकेत नहीं है कि पूरा संघ या जूरी की राय क्या है। मैं उन्हें संदेह का लाभ देना चाहूंगी क्योंकि हो सकता है इसे किसी और ने तैयार किया हो। हां, वे थोड़ा सावधान हो सकते थे लेकिन मैं इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेना चाहूंगी।’’

नवोदित फिल्म लेखिका ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘निर्णायक मंडल में किसी भी महिला सदस्य का नहीं होना एक ऐसा फैसला है जिसके बारे में मुझे नहीं पता कि वे इसे कैसे तय करते हैं… इसके बावजूद ‘लापता लेडीज’ का चुना जाना एक अद्भुत बात है।’’

‘पुष्पा इम्पॉसिबल’ और ‘वागले की दुनिया’ जैसे टीवी शो से मशहूर देसाई ने ‘लापता लेडीज’ की पटकथा और संवाद लिखे हैं, जो बिप्लब गोस्वामी की कहानी पर आधारित है। दिव्यनिधि शर्मा ने अतिरिक्त संवाद लिखे हैं।

लेखिका ने कहा कि 97वें अकादमी पुरस्कार में भारत की प्रविष्टि के रूप में इस फिल्म के चुने जाने की खबर आने के बाद से ही कलाकारों और अन्य संबंधित लोगों फोन कॉल और संदेशों की बाढ़ आ गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम बेहद उत्साहित हैं… यह बहुत ही अद्भुत एहसास है।’’

यह फिल्म दो दुल्हनों की कहानी है जिनकी शादी के दिन ट्रेन की यात्रा के दौरान अदला-बदली हो जाती है। इसे 29 फिल्मों की सूची में से चुना गया था, जिनमें बॉलीवुड की ‘एनिमल’, मलयालम राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘आट्टम’ और कान विजेता ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ शामिल हैं।

भाषा अविनाश धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)