बेंगलुरु, 13 जनवरी (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि मोटर वाहन (एमवी) अधिनियम के तहत चिकित्सा व्यय और अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रदान किये जाने वाले मुआवजे में से मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी के माध्यम से प्राप्त राशि काट ली जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति हंचते संजीवकुमार ने यह फैसला एक बीमा कंपनी को एस. हनुमंथप्पा के परिवार को 4,93,839 रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ मुआवजा देने का निर्देश देते हुए सुनाया। अदालत ने मेडिक्लेम पॉलिसी के माध्यम से पहले प्राप्त 1.8 लाख रुपये काटने का आदेश दिया।
बेंगलुरु के मराठाहल्ली निवासी हनुमनथप्पा 10 दिसंबर, 2008 को लेपाक्षी से सेवा मंदिर गांव लौटते समय एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। एक ऑटोरिक्शा ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, जिससे हनुमंथप्पा और उनकी पत्नी दोनों को गंभीर चोटें आई थीं।
घटना के बाद, हिंदूपुर ग्रामीण पुलिस ने इस संबंध में एक मामला दर्ज किया था और हनुमंथप्पा ने बेंगलुरू में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण का रुख किया था, जिसने 22 मार्च 2013 को 6,73,839 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। इसमें चिकित्सा व्यय के लिए 5,24,639 रुपये शामिल थे।
इस निर्णय को चुनौती देते हुए बीमा कंपनी ने दलील दी कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत की गई 1.8 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति को चिकित्सा व्यय श्रेणी के तहत दी गई मुआवजा राशि से काट लिया जाना चाहिए।
मनीष गुप्ता मामले में पिछले फैसले का हवाला देते हुए, अदालत ने कटौती को बरकरार रखा और कहा कि मेडिक्लेम के माध्यम से प्राप्त प्रतिपूर्ति राशि को अंतिम मुआवजे की गणना में शामिल किया जाना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि प्रतिपूर्ति राशि निर्विवाद थी, इसलिए इसे प्रदान किये गए चिकित्सा व्यय से काट लिया जाए।
भाषा अमित मनीषा
मनीषा
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)