नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को सूचित किया कि लक्षित हस्तक्षेप, मुफ्त सेवाएं, निजी क्षेत्र की भागीदारी, उन्नत निदान और कमजोर आबादी के लिए व्यापक समर्थन के माध्यम से तपेदिक (टीबी) के मामलों और मृत्यु दर को कम करने के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत उपायों को फिर से रणनीतिबद्ध किया गया है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने निचले सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 से पता चलता है कि 2023 में वैश्विक टीबी के मामलों और इस रोग से मृत्यु के मामलों में भारत की हिस्सेदारी 26 प्रतिशत थी।
पटेल ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के माध्यम से 20 राज्यों और राज्यों के समूह में उप-राष्ट्रीय स्तर पर टीबी के बोझ का आकलन करने के लिए राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण किया।
उन्होंने कहा कि देश में प्रति लाख जनसंख्या पर सभी उम्र के लोगों में सभी प्रकार के टीबी के 312 मामले दर्ज किए गए।
मंत्री ने कहा, ‘‘व्यापकता सर्वेक्षण के आधार पर, टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर को कम करने के लिए संवेदनशील आबादी पर ध्यान केंद्रित करने के वास्ते एनटीईपी हस्तक्षेपों को फिर से रणनीतिबद्ध किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत किए गए हस्तक्षेपों/उठाए गए कदमों में राज्य और जिला केंद्रित रणनीतिक योजनाओं के माध्यम से टीबी की अधिकता वाले क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेप, टीबी रोगियों को मुफ्त दवाएं देना और निदान करना तथा प्रमुख संवेदनशील आबादी में अभियानों के माध्यम से टीबी के सक्रिय मामलों की खोज करना शामिल है।
पटेल ने कहा कि इन उपायों में आयुष्मान आरोग्य मंदिर को टीबी जांच और उपचार सेवाओं के साथ एकीकृत करना, टीबी मामलों की अधिसूचना और प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन के साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी, उप-जिला स्तर तक निदान प्रयोगशालाओं का विस्तार करना, टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत कवरेज का विस्तार करना एवं निक्षय मित्र पहल के तहत टीबी रोगियों और घरेलू संपर्कों को अतिरिक्त पोषण, नैदानिक और व्यावसायिक सहायता प्रदान करना शामिल है।
भाषा वैभव रंजन
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