ऋषिकेश, 22 जनवरी (भाषा) हाल में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से राजाजी टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किए गए दो बाघों के बीच शांतिपूर्ण मेल मुलाकातों का दौर शुरू हो गया है और वे पश्चिमी हिस्से के नए प्राकृतवास के 532 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल का जायजा ले रहे हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव, विनोद कुमार सिंघल ने महत्वाकांक्षी बाघ स्थानांतरण परियोजना को प्रथमदृष्टया सफल बताते हुए कहा कि स्थितियों का आंकलन करके इस परियोजना को सही समय पर सभी सहयोगी संस्थानों की सहमति से आगे बढ़ाया जाएगा।
सिंघल ने बताया कि रेडियो कॉलर छोडकर मोतीचूर रेंज के अपने बाडे से निकलने के बाद बाघिन ने कई दिन तक पनियाला के जंगल मे ही डेरा डाला और शिकार किया। उसके बाद वह धौलखण्ड होते हुए चिल्लावाली से देहरादून वन प्रभाग की आशारोड़ी रेंज से घूमते हुए वापस धौलखण्ड रेंज की ओर रुख कर गयी।
उन्होंने बताया कि बाघ प्रजाति के वन्यजीव अपनी सहज प्रवृत्ति के चलते अपनी टेरिटरी या क्षेत्र तय करने से पहले इसी तरह अपने प्राकृतवास में घूमते हैं और अस्तित्व बनाये रखने के लिए जरूरी संसाधनों की प्रचुर उपलब्धता को परखते हैं। सथानांतरित किए गए बाघ व बाघिन का राजाजी टाइगर रिजर्व के पश्चिमी छोर के जंगल में व्यापक रूप से घूमना इसी सहज प्रवृत्ति का हिस्सा है।
सिंघल ने बताया कि पिछले सप्ताह भर जंगल में शिकार करते बाघ की शांतिपूर्ण तरीके से बाघिन से भी मुलाकात होने की सूचना मिली है।
उन्होंने बताया कि बाघों में मुलाकातें झड़प के साथ होती हैं लेकिन उन दोनों में कोई झडप नहीं हुई ।
उन्होंने बताया कि राजाजी टाईगर रिजर्व के पश्चिमी छोर के 532 वर्ग किलोमीटर के जंगल का प्राकृतवास बहुत समृद्ध है जिसमें वन्यजीवों के लिए आदर्श स्थितियां हैं यानि खाना, पानी और रहने के स्थान प्रचुरता से उपलब्ध हैं।
इसी बीच, वन अधिकारी ने बताया कि बाघों तथा अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर पश्चिमी छोर के जंगल से गुजरते 19 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक पर रेलगाड़ी की गति धीमा रखने पर रेलवे के उच्चाधिकारियों के साथ सहमति बन गई है । इससे पहले रेलवे ने हरिद्वार- डोईवाला रेल प्रखंड में रेलगाड़ियों की रफ़्तार तेज करने की बात कही थी जिस पर रिजर्व के डायरेक्टर धर्मेश कुमार सिंह ने तत्काल आपत्ति प्रकट की थी ।
भाषा सं दीप्ति
निहारिका शाहिद
शाहिद
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