व्यस्तताओं के बीच किताबों और ‘स्वाद’ के लिये कुछ समय निकाल लेते थे मनमोहन |

व्यस्तताओं के बीच किताबों और ‘स्वाद’ के लिये कुछ समय निकाल लेते थे मनमोहन

व्यस्तताओं के बीच किताबों और ‘स्वाद’ के लिये कुछ समय निकाल लेते थे मनमोहन

Edited By :  
Modified Date: December 27, 2024 / 08:45 PM IST
,
Published Date: December 27, 2024 8:45 pm IST

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) मनमोहन सिंह के लिए दिल्ली सिर्फ सत्ता की चकाचौंध वाली जगह भर नहीं थी, यह एक ऐसा शहर था जहां उन्हें किताबों, भोजन और परिवार का सुख मिलता था।

सिंह का बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय राजधानी स्थित एम्स में निधन हो गया।

सिंह अपने व्यस्त कामकाज से अलग होकर अपने प्रियजनों के साथ किताबों की दुकानों और प्रसिद्ध भोजनालयों में शांतिपूर्वक समय बिताना पसंद करते थे।

“स्ट्रिक्टली पर्सनल” नामक अपने संस्मरण में सिंह की पुत्री दमन सिंह ने इन यात्राओं की दुर्लभ झलक प्रदान करते हुए इन्हें “रोमांचक भ्रमण” बताया है।

उन्होंने लिखा, “हमारी सबसे रोमांचक यात्राएं किताबों की दुकानों पर होती थीं: कश्मीरी गेट में रामकृष्ण एंड संस, और कनॉट प्लेस में गलगोटिया और न्यू बुक डिपो। किताबों की लुभावनी अलमारियों के बीच से हम अपनी खरीदी हुई चीजें थामे हुए बाहर निकलते थे।”

परिवार अक्सर इन किताबों की दुकानों पर घंटों बिताता था। हालांकि, यह खाने-पीने से जुड़ी यात्राएं ही थीं जो शहर में सिंह की खुशी को दर्शाती थीं।

अपने संस्मरण में सिंह की बेटी याद करती हैं कि “हर दो महीने में हम पहले से तय स्थानों पर खाना खाने जाते थे: दक्षिण भारतीय भोजन के लिए कमला नगर में कृष्णा स्वीट्स, मुगलई के लिए दरियागंज में तंदूर, चाइनीज व्यंजनों के लिए मालचा मार्ग पर फुजिया और चाट के लिए बंगाली मार्केट”।

फुजिया के मालिक मनप्रीत सिंह याद करते हैं, “उन दिनों मनमोहन सिंह अक्सर हमारे रेस्तरां में आते थे।”

मनप्रीत सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “उन्हें खास तौर पर गर्म और खट्टे सूप और स्प्रिंग रोल पसंद थे। बच्चों को अमेरिकन चॉप्सी बहुत पसंद थी। वे घर पर डिलीवरी के लिए खाना लाने के लिए किसी को भेजते थे। आखिरी बार टेकअवे लगभग तीन साल पहले हुआ था और उनका अंतिम बार आगमन 2007 में हुआ था।”

कृष्णा स्वीट्स में परिवार ने डोसा और इडली का आनंद लिया, जबकि बंगाली मार्केट की पापड़ी चाट और गोलगप्पों ने उनके खाने में स्वाद का तड़का लगा दिया।

भीमसेन बंगाली स्वीट हाउस के दूसरी पीढ़ी के मालिक 77 वर्षीय जगदीश अग्रवाल ने कहा, “मनमोहन सिंह का परिवार अक्सर हमारी दुकान पर आता था। ज्यादातर, वे किसी को भेजकर स्वादिष्ट व्यंजन मंगवाते थे। मुझे याद है, उन्हें (सिंह को) मिठाई बहुत पसंद थी। दोपहर और रात के खाने के बाद, वह अपना भोजन समाप्त करने के लिए कुछ मीठा खाते थे। लेकिन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से, वह इस बात को लेकर बहुत सजग थे कि वह किस तरह की मिठाई मंगवाएं और खाएं। संदेश और रसगुल्ला जैसी मिठाइयां उन्हें पसंद थीं।”

अग्रवाल ने कहा कि वह 60 वर्षों से संसद भवन को मिठाइयां उपलब्ध कराते आ रहे हैं।

उन्होंने कहा, “जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रधानमंत्री भी यहां आते थे। अर्थशास्त्र का छात्र होने के नाते मुझे याद है कि वे कितने महान व्यक्ति थे। उनके नीतिगत निर्णयों ने भारत को सबसे कठिन समय से बाहर निकाला है।”

शाकाहारी होने के नाते सिंह ने एक बार एक खास व्यंजन के लिए अपने आहार संकल्प को तोड़ने के बारे में सोचा था। 2011 में बांग्लादेश की यात्रा के दौरान, जो 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी, उन्होंने स्वीकार किया, “मैं अपना शाकाहारी संकल्प तोड़ने के लिए तैयार हूं क्योंकि मैंने हिल्सा मछली के स्वादिष्ट व्यंजन के बारे में सुना है।”

उन्होंने बांग्लादेशी राष्ट्रीय समाचार एजेंसी बीएसएस को दिए एक साक्षात्कार के दौरान हल्के-फुल्के अंदाज में यह बात कही।

भाषा

प्रशांत पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)