माले: मालदीव सरकार के मंत्री के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ‘जोकर’ और ‘इजरायल का कठपुतली’ कहते हुए अपमानित करने के मामले में अब मालदीव की सरकार और वहां के पूर्व राजयनिक बैकफुट पर आ चुके हैं। इस पूरे विवाद पर अब देश के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने ट्वीट करते हुए मुइज्जु सरकार को निर्देश दिया हैं कि वह अपने मंत्री को डांट लगाए। शाहिद ने पूरे मामले पर खेद जताते हुए अपने एक्स पर ट्वीट किया हैं कि ‘वर्तमान मालदीव सरकार के 2 मंत्रियों और सत्तारूढ़ गठबंधन में एक राजनीतिक दल के एक सदस्य द्वारा प्रधान मंत्री मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई हैं जो कि निंदनीय और घृणित हैं।
मैं सरकार से इन अधिकारियों को फटकार लगाने का आह्वान करता हूं। सार्वजनिक हस्तियों को मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। उन्हें यह स्वीकार करना होगा कि वे अब सोशल मीडिया एक्टिविस्ट नहीं हैं और अब उन्हें लोगों और देश के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारत एक परखा हुआ मित्र और अटूट सहयोगी है। वे ऐतिहासिक रूप से हमारी जरूरत के समय प्रतिक्रिया देने वाले पहले व्यक्ति रहे हैं। हमारा करीबी रिश्ता आपसी सम्मान, इतिहास, संस्कृति और लोगों के बीच मजबूत संबंधों से जुड़ा है।
Derogatory remarks made by 2 Deputy Ministers of the current #Maldives Government, and a member of a political party in the ruling coalition, towards Prime Minister @narendramodi and the people of India on social media is reprehensible and odious.
I call on the Government to… pic.twitter.com/kCjEyg4yjb
— Abdulla Shahid (@abdulla_shahid) January 7, 2024
सत्ताधारी पार्टी के मालदीव के सांसद जाहिद रमीज ने भी भारत पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा था कि “यह बहुत दुखद है कि भारत जैसा बड़ा देश श्रीलंका जैसी छोटी अर्थव्यवस्था की नकल करके पैसा कमाने की कोशिश कर रहा है।”
इस तरह की टिप्पणी करने वाले मुइज्जु सरकार के मंत्री मरियम शिउना ने बाद में अपने इस पोस्ट को डिलीट कर लिया लेकिन तब तक मामला बिगड़ चुका था। भारत ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। वही भारत के इस रुख के बाद अब मालदीव बैकफुट पर हैं।
मालदीव सरकार की तरफ से विवाद बढ़ने पर विस्तृत बयान जारी किया गया है। मालदीव की सरकार ने कहा है कि हमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विदेशी नेताओं के खिलाफ हो रही अपमानजनक टिप्पणी के बारे में जानकारी है। ये विचार व्यक्तिगत हैं और ये मालदीव सरकार के विचार को व्यक्त नहीं करते हैं। मालदीव सरकार ये मानती है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक और जिम्मेदार तरीके से होनी चाहिए। इससे किसी भी तरह की घृणा, नकारात्मकता नहीं फैलनी चाहिए। साथ ही इससे मालदीव और उसके अंतराष्ट्रीय भागीदारों के बीच करीबी संबंधों में बाधा नहीं बननी चाहिए।