नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर (भाषा) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक महीने का समय बचा है, ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन के पक्ष में जनमत तैयार करने के लिए बड़े पैमाने पर संपर्क कार्यक्रम शुरू किए हैं।
सूत्रों ने बताया कि संघ ने अपने सभी सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय कर लोगों से बातचीत करना शुरू कर दिया है।
एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘पूरे राज्य में टोलियां बनाई गई हैं और उन्होंने अपने-अपने इलाकों में लोगों तक संदेश पहुंचाना शुरू कर दिया है।’’
सूत्र ने बताया कि प्रत्येक टोली 5-10 लोगों के छोटे समूह के साथ बैठकें कर रही है और अपने-अपने इलाकों के ‘मोहल्लों’ के परिवारों से बातचीत कर रही है।
उसने बताया कि संघ की टोलियां इन बैठकों में सीधे तौर पर भाजपा का समर्थन नहीं करतीं बल्कि राष्ट्रीय हित, हिंदुत्व, सुशासन, विकास, लोक कल्याण और समाज से जुड़े विभिन्न स्थानीय मुद्दों पर गहन चर्चा के माध्यम से लोगों की राय को आकार देती हैं।
सूत्र ने बताया कि टोली का गठन करने से पहले संघ और उसके सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों ने रणनीति तैयार करने के लिए राज्य में सभी स्तरों पर समन्वय बैठकें कीं।
यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है कि हाल ही में संपन्न हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद ही संघ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए यह फैसला किया है।
सूत्रों ने बताया कि संघ द्वारा हरियाणा भर में अपने सहयोगी संगठनों के साथ समन्वय करके आयोजित की गई ‘बैठकें’ राज्य में भाजपा की चुनावी सफलता के पीछे प्रमुख कारणों में से एक थी।
हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर होने के बावजूद भाजपा राज्य की 90 सीट में से 48 सीट पर जीत हासिल कर लगातार तीसरी बार सत्ता में बनी रही और कांग्रेस के सत्ता में वापसी की संभावनाओं पर पानी फेर दिया।
अन्य सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हरियाणा में गठित संघ कार्यकर्ताओं की टोलियों ने राज्य भर में 1.25 लाख से अधिक छोटी-छोटी बैठकें की थीं।’’
सूत्र ने बताया कि इन बैठकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ‘जाट-केंद्रित नीतियों’ सहित विभिन्न मुद्दों को उजागर करके हरियाणा में जनमत को आकार देने में मदद की।
सूत्र ने कहा, ‘‘उन्होंने अग्निपथ भर्ती योजना पर लोगों की चिंताओं को दूर किया। उन्होंने किसानों से भी बातचीत की और उनकी भावनाओं को भाजपा के पक्ष में करने में कामयाब रहे।’’
ऐसा माना जाता है कि इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन के पीछे आरएसएस कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी का होना एक प्रमुख कारण था।
सूत्रों के अनुसार, विधानसभा चुनाव के दौरान अनुकूल जनमत तैयार करने में आरएसएस कार्यकर्ताओं की ‘सक्रिय भागीदारी’ ने भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है तथा पार्टी में कई लोगों को उम्मीद है कि हरियाणा की रणनीति का पालन करते हुए उन्हें महाराष्ट्र में भी अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं।
यद्यपि आरएसएस का कहना है कि वह सीधे तौर पर चुनावी राजनीति में शामिल नहीं होता, लेकिन लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि वह चुनावों में भाजपा की छिपी ताकत है।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के लिए बहुत कुछ दांव पर लगा है। कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (एसपी) की महाविकास आघाडी सत्तारूढ़ गठबंधन से सत्ता छीनने की कोशिश कर रही है।
भाषा
प्रीति संतोष
संतोष
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