मधुमिता शुक्ला हत्याकांड: अमरमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड: अमरमणि त्रिपाठी की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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  • Publish Date - March 25, 2025 / 03:21 PM IST,
    Updated On - March 25, 2025 / 03:21 PM IST

नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या से जुड़े मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की समयपूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।

अगस्त 2023 में उत्तर प्रदेश कारागार विभाग ने राज्य की 2018 की छूट नीति और इस तथ्य का हवाला देते हुए अमरमणि और मधुमणि की समयपूर्व रिहाई का आदेश जारी किया था कि दोनों ने अपनी सजा के 16 साल पूरे कर लिए हैं।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने मधुमिता की बहन निधि शुक्ला से कहा कि वह संबंधित उच्च न्यायालय का रुख करें।

पीठ ने पूछा, “किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।”

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को संरक्षण देने से भी इनकार कर दिया और उससे इस बाबत निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने को कहा।

उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि कारागार विभाग ने दोषियों की उम्र और अच्छे आचरण को भी उनकी समयपूर्ण रिहाई का आधार बताया था, क्योंकि अमरमणि 66 साल और मधुमणि 61 वर्ष की थीं।

मधुमिता की नौ मई 2003 को लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय वह गर्भवती थीं और उनके अमरमणि के साथ कथित तौर पर प्रेम संबंध थे।

सितंबर 2003 में अमरमणि को मधुमिता की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में अमरमणि और उनकी पत्नी को मधुमिता की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

बाद में नैनीताल उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत ने दंपति की सजा को बरकरार रखा था। मधुमिता हत्याकांड की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी।

भाषा

पारुल नेत्रपाल संतोष

संतोष