सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण, इन राशियों पर पड़ेगा असर | Lunar Eclipse:

सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण, इन राशियों पर पड़ेगा असर

सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण, इन राशियों पर पड़ेगा असर

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:01 PM IST
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Published Date: July 26, 2018 8:25 am IST

नई दिल्ली। 27 जुलाई को सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण होने वाला है। ग्रहण शुक्रवार रात 11 बजकर 42 मिनट 48 सेकंड में शुरू होगा और 28 जुलाई की सुबह पांच बजकर पांच बजे खत्म होगा। ग्रहण पूरे 103 मिनट तक रहेगा। इस लेकर खगोल शास्त्रियों के साथ लोगों में भी खासा उत्साह है। अबतक का सबसे लंबा चंद्रग्रहण 16 जुलाई 2000 में हुआ था। इसबार होने वाले ग्रहण से चार मिनट ज्यादा था। इस चंद्रग्रहण को एशिया और अफ्रीका के लोगों को देखने को मिलेगा यूरोप, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में यह ग्रहण आंशिक रूप से देखा जा सकेगा। वहीं नॉर्थ  अमेरिका  और अंटार्कटिका में यह नहीं दिखाई पड़ेगा।

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चंद्रग्रहण की अवधि का निर्धारण दो बातों के आधार पर होता है। सूरज, चंद्रमा और धरती के केंद्र का एक सीधी रेखा में होना और ग्रहण के समय पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी के आधार पर चंद्रगहण की अवधि का आकलन होता है। इस बार इन तीनों खगोलीय पिंडों के केंद्र लगभग एक सीधी रेखा में होंगे, और चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी अपने अधिकतम बिंदु के बेहद करीब होगी। चंद्रमा इस बार पृथ्वी से अपने सबसे दूर मौजूद बिंदु के पास होगा, इसलिए यह छोटा दिखाई पड़ेगा। यही कारण है कि ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया को पार करने में चंद्रमा को इस बार अधिक समय लगेगा और चंद्रग्रहण लंबे समय तक बना रहेगा।

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भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ आर्यभट्ट (476-550 ईसवीं) ने ग्रहण से संबंधित वैज्ञानिक सिद्धांत पेश किए। उन्होंने इस बात को सिद्ध किया कि जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने से चंद्रग्रहण होता है। इसी तरह सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने पर चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है तो सूर्यग्रहण होता है। यही वजह है कि चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है, जब सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी की दो विपरीत दिशाओं में होते हैं। वहीं, सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है, जब सूर्य एवं चंद्रमा पृथ्वी की एक ही दिशा में स्थित होते हैं।

ग्रहण वास्तव में छाया के खेल से अधिक कुछ नहीं है और इससे किसी तरह की रहस्यमयी किरणों का उत्सर्जन नहीं होता। चंद्रग्रहण को देखना पूरी तरह सुरक्षित है और इसके लिए किसी खास उपकरण की आवश्यकता भी नहीं होती। हालांकि, सूर्यग्रहण को देखते वक्त थोड़ी सावधानी जरूर बरतनी चाहिए क्योंकि सूर्य की चमक अत्यधिक तेज होती है।

सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के ठोस हिस्से से गुजर नहीं पाता है, लेकिन पृथ्वी को ढंकने वाले वायुमंडल से न केवल सूर्य की किरणें आर-पार निकल सकती हैं, बल्कि इससे टकराकर ये किरणें चंद्रमा की ओर परावर्तित हो सकती हैं। सूर्य के प्रकाश में उपस्थित अधिकतर नीला रंग पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, जिससे आसमान नीला दिखाई देता है। जबकि, लाल रोशनी वायुमंडल में बिखर नहीं पाती और पृथ्वी के वातावरण से छनकर चंद्रमा तक पहुंच जाती है, जिससे चंद्रमा लाल दिखाई पड़ता है। इस बार सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के केंद्र पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान लगभग सीधी रेखा में होंगे तो सूर्य के प्रकाश की न्यूनतम मात्रा वायुमंडल से छनकर निकल पाएगी, जिससे चंद्रमा पर अंधेरा दिखाई पड़ेगा।

इस बार चंद्रग्रहण के दिन पृथ्वी के उपछाया क्षेत्र में रात के करीब 10.53 बजे चंद्रमा के प्रवेश को देखा नहीं जा सकेगा। चंद्रमा का अधिकतर हिस्सा जैसे-जैसे उपछाया क्षेत्र से ढकता जाएगा तो इसकी कम होती चमक को स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। करीब 11:54 बजे चंद्रमा प्रतिछाया क्षेत्र में प्रवेश करेगा। उस वक्त पूर्णिमा के चांद पर धीरे-धीरे गहराते अंधेरे को देखना बेहद रोचक होगा।

यह चन्द्र ग्रहण ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण जिस राशि पर में घटित होता है उन राशि बालों पर अपना कुप्रभाव छोड़ता है। यह चन्द्र ग्रहण उत्तराषाढा और श्रवण मास में मकर  राशि में घटित हो रहा है,इसलिए मकर राशि वालों को सावधान रहने की जरूरत है। चन्द्र ग्रहण के कुप्रभाव से बचने के लिए पूजा पाठ एवं जाप करना चाहिए। यह ग्रहण मिथुन,मेष,वृष,कर्क,सिंह,कन्या,धनु,कुम्भ राशि वालों के लिए भी कष्टकारी हो सकती हैं तुला,वृश्चिक और मीन राशि वालों के लिए यह चन्द्र ग्रहण शुभ होगा।   

 

वेब डेस्क, IBC24