Yes Bank ने बढ़ा दी 'भगवान' की चिंता, ज्यादा ब्याज पाने के लालच में जमा कर दिए थे 545 करोड़ रुपए | Lord Jagannath Rs 545 Crore Blocked In Yes Bank

Yes Bank ने बढ़ा दी ‘भगवान’ की चिंता, ज्यादा ब्याज पाने के लालच में जमा कर दिए थे 545 करोड़ रुपए

Yes Bank ने बढ़ा दी 'भगवान' की चिंता, ज्यादा ब्याज पाने के लालच में जमा कर दिए थे 545 करोड़ रुपए

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Modified Date: November 29, 2022 / 08:54 PM IST
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Published Date: March 6, 2020 5:30 pm IST

भुवनेश्वर: वित्तीय संकट के बीच एक और बड़ा बैंक बंद होने की कगार पर है। दरअसल यस बैंक लगातार एनपीए की समस्या से जूझ रहा है। वहीं आज आरबीआई ने कड़ा निर्देश देते हुए पैसा निकालने की ऊपरी सीमा निर्धारित कर दी है। आरबीआई की ओर से यस बैंक के लिए जारी निर्देश के बाद सदियों पुराने भगवान जगन्नाथ मंदिर के पुजारी और श्रद्धालु चिंतित हैं। बताया जा रहा है कि यस बैंक में ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर का 545 करोड़ रुपए जमा है। बता दें कि शुक्रवार को आरबीआई ने निर्देश जारी करते हुए एक माह तक निकासी की सीमा 50,000 रुपए तय की है।

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गौरतलब है कि यस बैंक नई पुजी की व्यवस्था करने में असफल साबित रहा रहा है, जबकि बैंक से निवेश की गई पुजी को लगातार निकाला जा रहा है। इन हालतों के बाद यस बैंक में संकट के बादल गहरा गए हैं। बताते चले कि केंद्रीय बैंक ने यस बैंक के निदेशक मंडल के अधिकारों पर रोक लगाते हुए एक महीने के लिए एसबीआई के पूर्व डीएमडी और सीएफओ प्रशांत कुमार की प्रशासक के रूप में नियुक्ति भी कर दी है। इधर आरबीआई के इस निर्देश के चलते यस के बैंक के ग्राहक मुश्किलों से घिर गए है।

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मामले को लेकर पुरी के इस मंदिर के दैतापति (सेवक) विनायक दासमहापात्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा यस बैंक पर रोक से सेवक और भक्त आशंकित हैं। हम उन लोगों के खिलाफ जांच की मांग करते हैं, जिन्होंने थोड़े ज्यादा ब्याज के लालच में निजी क्षेत्र के बैंक में इतनी बड़ी राशि जमा कराई है।

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जगन्नाथ सेना के संयोजक प्रियदर्शी पटनायक ने कहा कहा ​कि भगवान के धन को निजी क्षेत्र के बैंक में जमा कराना न केवल गैर- कानूनी है बल्कि यह अनैतिक भी है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) और मंदिर की प्रबंधन समिति इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि निजी बैंक में पैसा जमा कराने के मामले में पुरी के पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई थी लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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