नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि जांच निदेशक और अभियोजन निदेशक के दो प्रमुख पदों को लोकपाल द्वारा भरा जाना अभी बाकी है।
राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के ए डी सिंह के एक लिखित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा, ‘‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत जांच निदेशक और अभियोजन निदेशक की नियुक्ति, लोकपाल द्वारा की जानी होती है।’’
लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 एक जनवरी 2014 को लागू हुआ था। हालांकि, इसने अपने अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के बाद 27 मार्च, 2019 को काम करना शुरू किया।
अपने सांविधिक कार्यों का निर्वहन करने के लिए, अधिनियम की धारा 11 लोकपाल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दंडनीय किसी भी अपराध, जो निर्दिष्ट लोक सेवकों और पदाधिकारियों द्वारा कथित रूप से किए गए हैं, की प्रारंभिक जांच करने के उद्देश्य से जांच निदेशक की अध्यक्षता में एक जांच विंग का गठन करने के लिए बाध्य करती है।
लोकपाल ने पिछले साल सितंबर में जांच शाखा के गठन की घोषणा की थी।
लोकपाल अधिनियम में लोक सेवकों के अभियोजन के लिए ‘अभियोजन निदेशक’ की अध्यक्षता में एक अभियोजन विंग गठित करने का भी प्रावधान है, जिसका गठन अभी तक नहीं हुआ है।
राजद सदस्य सिंह ने सरकार से यह भी पूछा था कि ये पद कब से रिक्त हैं, इसके क्या कारण हैं और इन पदों को कब तक भरा जाएगा।
हालांकि, जवाब में इन सवालों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
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ब्रजेन्द्र मनीषा
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