(अश्विनी श्रीवास्तव)
नयी दिल्ली, 24 दिसंबर (भाषा) भ्रष्टाचार रोधी निकाय लोकपाल ने सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच के साथ ही तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा समेत शिकायतकर्ताओं को अगले महीने ‘‘मौखिक सुनवाई’’ के लिए बुलाया है। यह जानकारी एक आधिकारिक आदेश से मिली।
लोकपाल के समक्ष भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों की सुनवाई जारी है जिनमें हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर अनियमितता और हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है।
लोकपाल ने आठ नवंबर को लोकसभा सदस्य मोइत्रा और दो अन्य द्वारा दायर शिकायतों पर बुच से ‘‘स्पष्टीकरण’’ मांगा था।
पूंजी बाजार नियामक ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ (सेबी) अध्यक्ष बुच को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा गया है।
मामले की सुनवाई करते हुए लोकपाल ने कहा कि नामित आरपीएस (प्रतिवादी लोक सेवक) ने ‘‘समय पर 07.12.2024 को शपथ-पत्र के माध्यम से अपना जवाब दाखिल किया है, जिसमें प्रारंभिक मुद्दे उठाने के साथ-साथ आरोपों के संबंध में स्पष्टीकरण भी दिया गया है।’’
लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और पांच अन्य सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित 19 दिसंबर के आदेश के अनुसार, ‘‘इसके अलावा, हम यह उचित समझते हैं कि आरपीएस के साथ-साथ शिकायतकर्ताओं को भी मौखिक सुनवाई का अवसर दिया जा सकता है ताकि वे शिकायतों या हलफनामे पर अपना पक्ष स्पष्ट कर सकें।’’
तदनुसार, लोकपाल ने रजिस्ट्री से आरपीएस के साथ-साथ शिकायतकर्ता(ओं) को 28 जनवरी को मौखिक सुनवाई का अवसर प्राप्त करने के लिए नोटिस जारी करने को कहा है।
आदेश में कहा गया है, ‘‘आरपीएस के साथ-साथ शिकायतकर्ता भी मौखिक सुनवाई के समय अपने मामले की पैरवी करने के लिए किसी अधिवक्ता को अधिकृत कर सकते हैं, यदि वे ऐसा चाहें।’’
लोकपाल ने कहा, ‘‘यह उचित है और न्याय के हित में है कि शिकायतकर्ताओं को आरपीएस द्वारा दायर हलफनामे और दस्तावेजों की प्रति प्रदान की जाए, जो संबंधित शिकायतकर्ताओं और पूरक हलफनामों के जवाब दायर की गई है।’’
भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल ने अपनी रजिस्ट्री से बुच के हलफनामे और उसके साथ संलग्न दस्तावेजों की एक प्रति संबंधित शिकायतों में शिकायतकर्ताओं को भेजने को कहा है।
आदेश में कहा गया है, ‘‘हालांकि, शिकायतकर्ता यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रक्रिया और हलफनामे की विषय-वस्तु की गोपनीयता बनी रहे…।’’
इसने मामले को 28 जनवरी को पूर्वाह्न 11:30 बजे के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘सेबी प्रमुख बुच और शिकायतकर्ता, ‘‘यदि वे किसी कथित निर्णय पर भरोसा करना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसे निर्णयों का संकलन विधिवत पृष्ठांकित करके, पहले और 18.01.2025 तक दाखिल करना चाहिए।’’
बीस सितंबर के एक आदेश में, लोकपाल ने कहा था कि अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के आरोप वाली शिकायत उसे जांच का आदेश देने के लिए राजी करने में विफल रही।
भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल की यह टिप्पणी दो शिकायतों की सुनवाई करते समय आई, जिसमें एक शिकायत टीएमसी सांसद की थी, जो अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के आधार पर दायर की गई थी।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि बुच और उनके पति के पास कथित अदाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट विदेशी कोष में हिस्सेदारी थी।
बुच और उनके पति ने इन आरोपों का खंडन किया था, और कहा था कि हिंडनबर्ग रिसर्च पूंजी बाजार नियामक की विश्वसनीयता पर हमला और चरित्र हनन का प्रयास कर रही है।
अदाणी समूह ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और चुनिंदा सार्वजनिक सूचनाओं में हेरफेर करार दिया था।
हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी पहली रिपोर्ट के 18 महीने बाद कहा था, ‘‘सेबी ने अदाणी के मॉरीशस और विदेशी फर्जी संस्थाओं के कथित अघोषित जाल में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है।’’
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने 13 सितंबर को ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा था कि उन्होंने सेबी प्रमुख के खिलाफ लोकपाल के पास शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल को इसे प्रारंभिक जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भेजना चाहिए, जिसके बाद ‘पूर्ण एफआईआर जांच’ होनी चाहिए।
शिकायतकर्ता का नाम लिये बिना, लोकपाल ने 20 सितंबर के अपने आदेश में ‘‘10 अगस्त, 2024 को प्रकाशित हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट में दावों की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता को सत्यापित करने के लिए संबंधित शिकायतकर्ता द्वारा किए गए प्रयासों के संबंध में’ विवरण भी मांगा था।
मामले को आगे विचार के लिए 17 अक्टूबर, 2024 को और फिर आठ नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया था। लोकपाल के 8 नवंबर के आदेश के अनुसार, ‘एक अन्य शिकायतकर्ता द्वारा 14 अक्टूबर को तीसरी शिकायत भी दी गई, जिसमें एक बार फिर वही मुद्दे उठाए गए।’’
भाषा अमित नरेश
नरेश
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