केरल में शीर्ष आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ वाम विधायक के आरोपों से राज्य की राजनीति में तूफान |

केरल में शीर्ष आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ वाम विधायक के आरोपों से राज्य की राजनीति में तूफान

केरल में शीर्ष आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ वाम विधायक के आरोपों से राज्य की राजनीति में तूफान

:   Modified Date:  September 3, 2024 / 05:07 PM IST, Published Date : September 3, 2024/5:07 pm IST

तिरुवनंतपुरम, तीन सितंबर (भाषा) केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) विधायक पी वी अनवर द्वारा कुछ शीर्ष आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये जाने के बाद राज्य की राजनीति में तूफान आ गया है।

वाम दल विधायक ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ बैठक की, जबकि केरल में विपक्ष ने इस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा कराये जाने की मांग की।

मुख्यमंत्री के साथ करीब एक घंटे की बैठक के बाद अनवर ने कहा कि उन्होंने अपनी शिकायत लिखित तौर पर विजयन को दे दी है और इसके साथ ही इस मामले में उनकी भूमिका समाप्त हो गई है।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘मैंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की, उन्हें लिखित में अपनी शिकायत दी और पूरे मामले की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने (मुख्यमंत्री) मेरी बात सुनी और मुझे विश्वास है कि पूरी और ईमानदार जांच की जाएगी। मैं इस शिकायत की एक प्रति मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव एम वी गोविंदन को भी दूंगा। इसके साथ ही मामले में पार्टी कॉमरेड के तौर पर मेरी भूमिका खत्म हो गई है। अब मेरी जिम्मेदारी जांच में सहयोग करना है।’

नीलांबुर से विधायक अनवर ने एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) एम आर अजित कुमार के खिलाफ तीखे आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी शशि के इस्तीफे की मांग नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘मैं किस आधार पर उन्हें हटाने की मांग कर सकता हूं? पार्टी और मुख्यमंत्री तय करेंगे कि क्या करना है।’

अनवर ने यह भी कहा कि उन्होंने लोगों के पुलिस अधिकारियों के एक वर्ग के साथ बुरे अनुभवों, पुलिस बल में बुरे तत्वों और उसके भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है।

उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जिस दिन केरल सरकार ने अनवर और एडीजीपी अजित कुमार की शिकायत की जांच के लिए राज्य पुलिस प्रमुख एस. दरवेश साहब के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय टीम गठित की।

राज्य सरकार के आदेश पर शुरू की गयी जांच को विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) और राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ‘दिखावा’ करार दिया। दोनों दलों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं और यह कि वह एडीजीपी से डरे हुए हैं।

विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने पुलिस बल में वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की सीबीआई से जांच की मांग की।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन और पार्टी नेता शोभा सुरेंद्रन ने भी इसी तरह की मांग की, जिन्होंने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को आरोपों की जांच करनी चाहिए।

यूडीएफ और कांग्रेस दोनों ने सवाल उठाया कि जब एडीजीपी और राजनीतिक सचिव अपने-अपने पदों पर बने रहेंगे, तो प्रभावी जांच कैसे की जा सकती है।

भाजपा के प्रदेश प्रमुख ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग भी की।

विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए एलडीएफ संयोजक टी पी रामकृष्णन ने कहा कि मुख्यमंत्री और उनके कार्यालय के खिलाफ पहले भी इसी तरह के आरोप लगाए गए हैं और जनता ने हर बार इसे खारिज कर दिया है।

उन्होंने कहा कि लोगों ने आरोपों को खारिज किया क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे अच्छे कामों को देखा।

एलडीएफ संयोजक ने कहा, ‘ये आरोप राज्य में वाम मोर्चे को प्रभावित नहीं करेंगे। गलत काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकार कटघरे में नहीं है।’

माकपा नीत सरकार को मुश्किल में डालते हुए नीलांबुर विधायक ने रविवार को विजयन के राजनीतिक सचिव पी शशि और एडीजीपी (कानून व्यवस्था) अजित कुमार पर विश्वास तोड़ने और ईमानदारी से जिम्मेदारियां निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया था।

अनवर ने रविवार को आरोप लगाया था कि कुमार मंत्रियों की फोन बातचीत टैप करते हैं, सोने की तस्करी करने वाले गिरोहों से उनके संबंध हैं और वे गंभीर अपराधों में शामिल हैं। उन्होंने पथानामथिट्टा पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुजीत दास पर भी गंभीर आरोप लगाए।

भाषा

अमित माधव

माधव

 

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