नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बृहस्पतिवार को अपने महासचिव सीताराम येचुरी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया और इसे वामपंथी, लोकतांत्रिक तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए एक बड़ा झटका करार दिया।
येचुरी का बृहस्पतिवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे।
माकपा ने एक बयान में कहा, ‘‘माकपा का पोलित ब्यूरो 12 सितंबर, 2024 को पार्टी के महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करता है।’
पार्टी ने उन्हें वामपंथी आंदोलन का एक उत्कृष्ट नेता और प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारक बताया।
माकपा ने कहा, ‘‘हमारी राष्ट्रीय राजनीति के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर सीताराम येचुरी का असामयिक निधन माकपा के लिए एक बड़ा झटका है और वामपंथी, लोकतांत्रिक तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए भी एक बड़ी क्षति है। पोलित ब्यूरो हमारे प्रिय सहयोगी को श्रद्धांजलि अर्पित करता है।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘पोलित ब्यूरो सभी पार्टी सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं से एकजुट होने और शोषण मुक्त समाज के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान करता है। यह उन्हें दी जाने वाली सबसे अच्छी श्रद्धांजलि होगी।’’
माकपा ने येचुरी की पत्नी सीमा चिश्ती, उनकी बेटी अखिला, बेटे दानिश, भाई शंकर और परिवार के अन्य सभी सदस्यों के प्रति अपनी गहरी सहानुभूति और संवेदना व्यक्त की।
मार्क्सवादी नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, भाकपा महासचिव डी राजा ने येचुरी के साथ अपने दशकों पुराने संबंधों को याद किया और कहा कि वह बहुत दुखी हैं। उन्होंने कहा, ‘सीताराम समकालीन समय में वामपंथी और कम्युनिस्ट आंदोलन के सबसे उत्कृष्ट नेताओं में से एक थे।’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव राजा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘येचुरी के साथ मेरा संबंध दशकों पुराना है। यह उस समय का है जब वह छात्र आंदोलन में थे और मैं एआईवाईएफ में काम कर रहा था। हमने संयुक्त मोर्चा सरकार की संचालन समिति, संप्रग की पहली सरकार में साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने और बाद में कई मंचों पर एक साथ काम किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भाकपा और माकपा के महासचिव बनने के बाद हमने वाम, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों की एकता के लिए मिलकर काम किया।’’
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में येचुरी के निधन को ‘‘लोकतंत्र की रक्षा में लड़ने वाले हर भारतीय के लिए एक बड़ी क्षति’’ बताया।
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने भी वामपंथी नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा, ‘‘अलविदा कॉमरेड सीताराम येचुरी।’’
येचुरी 1984 से 1986 तक एसएफआई के अध्यक्ष रहे।
भाषा हक हक वैभव
वैभव
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