छत्रपति संभाजीनगर (महाराष्ट्र), 16 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सोमवार को यहां कहा कि वकीलों के पास बड़े अवसर हैं और उन्हें (इनका) फायदा उठाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई), ‘प्रपॉर्शनैलिटी’ और डेटा विश्लेषण का अध्ययन करना चाहिए।
महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, औरंगाबाद के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देशभर की अदालतों में 5.5 करोड़ मुकदमे लंबित हैं जिनमें से 83,000 मुकदमे उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘1,700 विधि कॉलेज हैं। करीब एक लाख वकील हर साल पंजीकृत होते हैं। बार काउंसिल में करीब 15 लाख वकील पंजीकृत हैं। वकीलों को न केवल इन मुकदमों में दलीलें पेश करने की जरूरत होती है बल्कि अदालतों में न्यायाधीशों और न्यायाधिकरणों के सदस्यों के रूप में भी काम करना होता है। इसलिए आपके पास बड़े अवसर हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा, डेटा सृजन और डेटा विश्लेषण, ‘प्रपॉर्शनैलिटी’ जैसे उभरते क्षेत्र विधायी और कार्यकारी नीति के साथ ही न्यायिक निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’
उन्होंने कहा कि कानूनी पेशा कोई व्यवसाय नहीं है, बल्कि यह ईमानदारी, दृढ़ता और जिम्मेदारी की गहरी भावना की मांग करता है, जिसका मुख्य उद्देश्य नैतिकता, सम्मान और प्रतिष्ठा बनाए रखना है।
उन्होंने कहा कि विधायिका का सदस्य बनने के लिए निर्वाचित होना आवश्यक है, जिसके लिए वर्षों की कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। जबकि नौकरशाही में जाने के लिए बहुत कठिन प्रतियोगी परीक्षाएं पास करनी पड़ती हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘वकील के रूप में आप तत्काल तीसरे स्तंभ जोकि न्यायपालिका है, का हिस्सा बन जाते हैं। न्यायपालिका एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यहां कार्यकारी और कानूनी कार्रवाइयों को चुनौती दी जाती है।’’
उन्होंने मध्यस्थता और कानूनी सहायता की महत्ता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘देश की लगभग 80 फीसदी आबादी कानूनी सहायता के योग्य है। युवा वकील कानूनी सहायता का अभिन्न अंग हो सकते हैं। एक राष्ट्रीय कानूनी सहायता हेल्पलाइन नंबर है और इस पर फोन कॉल का जवाब देने के लिए वकीलों को शामिल किया जा रहा है।’’
शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा कि भारत में लगभग 1.4 करोड़ लोग गिरफ्तार किए जाते हैं, जिनमें से 62 प्रतिशत गिरफ्तारियां दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत होती हैं। साथी ही उन्होंने कहा, ”यह चिंता का विषय है और जिसमें वकीलों को भूमिका निभानी चाहिए क्योंकि यह एक बहुत बड़ी संख्या है।’
इस कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अभय ओका, न्यायमूर्ति यूबी भुइयां और विश्वविद्यालय के कुलपति ए. लक्ष्मीकांत भी शामिल हुए। न्यायमूर्ति अभय ओका विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं।
दीक्षांत समारोह में छात्रों को एलएलबी, एलएलएम की डिग्रियां प्रदान की गयीं।
भाषा गोला पवनेश
पवनेश
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वकीलों को बड़े अवसरों का लाभ उठाने के लिए एआई…
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