नयी दिल्ली, 31 जनवरी (भाषा) संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा (2024-25) में उन कदमों का जिक्र किया गया है जो जमीनी स्तर पर न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से उठाए गए हैं। साथ ही, इसमें कहा गया है कि ग्राम न्यायालयों ने पिछले चार वर्ष में लगभग तीन लाख मामलों का निपटारा किया है।
आर्थिक समीक्षा में ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 का जिक्र है जिसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर न्याय तक पहुंच प्रदान करना है।
इसमें उल्लेख किया गया है कि 313 ग्राम न्यायालयों ने दिसंबर 2020 से अक्टूबर 2024 के बीच 2.99 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया।
कानून मंत्रालय ने हाल ही में संसद में कहा था कि न्याय तक सस्ती और त्वरित पहुंच प्रदान करने के साधन के तौर पर परिकल्पित ग्राम न्यायालय आज जनशक्ति की कमी और वित्तीय संकट के कारण अपने उद्देश्य को पूरा करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
समीक्षा में, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत 1987 में स्थापित राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का भी उल्लेख किया गया। यह प्राधिकरण न्याय तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए समाज के वंचित वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवाएं मुहैया करता है।
इसके साथ ही, सरकार ने भारत में न्याय तक समग्र पहुंच के लिए अभिनव समाधान तैयार करने की योजना शुरू की है, जो ‘‘टेली-लॉ’’ के माध्यम से मुकदमा-पूर्व सलाह को मजबूत करती है, न्याय बंधु कार्यक्रम के माध्यम से निःशुल्क कानूनी सेवाओं की सुविधा प्रदान करती है और अखिल भारतीय जागरूकता अभियानों के माध्यम से विधिक साक्षरता को बढ़ावा देती है।
भाषा अविनाश धीरज
धीरज
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)