नयी दिल्ली, 22 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पंजाब सरकार की वह याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी जिसमें जनवरी 2022 में राज्य के दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक की जांच के लिए शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा के समक्ष गवाही देने वालों के बयान मुहैया कराए जाने का अनुरोध किया गया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने राज्य सरकार से कहा कि वह बयानों की मदद लिए बिना दोषी अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से जांच करे।
शीर्ष अदालत ने सुरक्षा में चूक की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीश इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में 12 जनवरी 2022 को एक समिति नियुक्त की थी।
पीठ ने कहा, ‘‘समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद मामले पर 25 अगस्त 2022 को सुनवाई की गई। रिपोर्ट की प्रति केंद्र और राज्य सरकार को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। यह निर्देश दिया गया था कि रिपोर्ट को इस अदालत के महासचिव के संरक्षण में सीलबंद लिफाफे में रखा जाएगा।’’
उसने कहा, ‘‘… पंजाब सरकार ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ आगे की कार्यवाही करने के लिए एक पत्र भेजकर गवाहों के बयान मुहैया कराए जाने का अनुरोध किया है।’’
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘हमें पंजाब सरकार के अनुरोध पर विचार करने का कोई आधार नहीं दिखता। राज्य सरकार जांच समिति के समक्ष गवाहों द्वारा दिए गए बयानों की सहायता के बिना दोषी अधिकारियों के खिलाफ अपनी जांच कर सकती है।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंजाब दौरे में सुरक्षा संबंधी चूक की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने पाया था कि पर्याप्त बल उपलब्ध होने के बावजूद फिरोजपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अपना कर्तव्य निभाने में विफल रहे।
भाषा
सिम्मी नरेश
नरेश
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