पणजी, 22 नवंबर (भाषा) गोवा के आदिवासियों और वनवासियों की अपनी जमीन पर अधिकार की लंबित मांग जल्द ही हकीकत बन जाएगी, क्योंकि राज्य सरकार ने उनके दावों का तेजी से निपटारा शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अब तक 871 ऐसे दावेदारों को मालिकाना हक के दस्तावेज मिल चुके हैं।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के अनुसार, उनकी सरकार ने वन अधिकार अधिनियम के तहत जंगलों में रहने वाले लोगों को भूमि अधिकार देने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। मुख्यमंत्री सावंत ने कहा, ‘‘हमने इन मामलों पर विशेष ध्यान दिया है, जिससे इन आदिवासियों को मदद मिली है।’’
वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन के नोडल अधिकारी अजय गौडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों द्वारा दायर 10,136 दावे लंबे समय से लंबित हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इनमें से 9,757 दावे व्यक्तिगत हैं, जबकि 379 सामुदायिक दावे हैं। अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री सावंत के नेतृत्व वाली सरकार ने इस मामले के निपटारे को प्राथमिकता दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्राप्त सभी आवेदनों पर आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों को (स्वामित्व) अधिकार सौंपने संबंधी दावों के निपटारे की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गोवा सरकार ने एक विशेष एजेंसी नियुक्त की है, जो आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों द्वारा प्रस्तुत दावों का मौके पर सत्यापन करती है। इसने अब तक 6,997 दावों का मौके पर सत्यापन किया है।
अधिकारी ने प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए बताया कि ग्राम सभाओं ने 4,760 दावों को मंजूरी दी है, जबकि उपसंभाग स्तरीय समिति ने 2,629 दावों को मंजूरी दी है, जिन्हें जिला स्तरीय समिति को भेज दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जिला स्तरीय समिति ने 1,741 दावों को मंजूरी दी। वन अधिकार अधिनियम के तहत प्रक्रिया का पालन करने के बाद 10 अक्टूबर 2024 तक 871 आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वनवासियों को सनद (स्वामित्व के दस्तावेज) जारी किए गए हैं।
गौडे ने कहा कि मुख्यमंत्री हर महीने इन दावों पर काम की समीक्षा कर रहे हैं, जबकि अधिनियम के कार्यान्वयन में किसी भी तरह की खामियों को दूर करने के लिए एक राज्य स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया गया है।
राज्य की राजधानी पणजी से लगभग 100 किलोमीटर दूर दक्षिण गोवा के कैनाकोना तालुका के कोटिगाओ गांव के अवली वार्ड में रहने वाले दत्ता वेलिप ने कहा, ‘‘अपनी संपत्ति के लिए सनद पाकर मैं बहुत खुश हूं।’’
वेलिप ने कहा कि उनके पूर्वज इस जमीन पर खेती करते थे, लेकिन इस पर अपना हक जताने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा। वेलिप ने कहा कि उनके गांव से 376 दावे प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 76 का निपटारा कर दिया गया है। उन्होंने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
गांव के ही विष्णु वेलिप ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम लागू होने से उन्हें भी लाभ मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि इस जीवन में हमें अपनी जमीन का मालिकाना हक मिलेगा। हमें खुशी है कि राज्य सरकार ने हमारा सपना पूरा कर दिया है।’’
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप
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