लखीमपुर खीरी मामला: न्यायालय ने आशीष मिश्रा के खिलाफ आरोपों पर उत्तर प्रदेश पुलिस से रिपोर्ट मांगी |

लखीमपुर खीरी मामला: न्यायालय ने आशीष मिश्रा के खिलाफ आरोपों पर उत्तर प्रदेश पुलिस से रिपोर्ट मांगी

लखीमपुर खीरी मामला: न्यायालय ने आशीष मिश्रा के खिलाफ आरोपों पर उत्तर प्रदेश पुलिस से रिपोर्ट मांगी

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Modified Date: January 20, 2025 / 06:54 PM IST
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Published Date: January 20, 2025 6:54 pm IST

नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश पुलिस से इन आरोपों पर रिपोर्ट मांगी है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने लखीमपुर खीरी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) को तथ्यान्वेषी जांच के बाद अदालत में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, ‘हमारे विचार में पुलिस ही ऐसे आरोपों की सत्यता, वास्तविकता और विश्वसनीयता की जांच कर सकती है। पुलिस प्रशासन जमानत रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका में लगाए गए आरोपों के समर्थन या विरोध में रिपोर्ट पेश कर सकता है।’

आशीष मिश्रा ने अपने हलफनामे में आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि जब भी मामला अदालत के समक्ष सूचीबद्ध होता है, तो शीर्ष अदालत द्वारा दी गई उनकी जमानत को रद्द करने के लिए इस तरह के दावे किए जाते हैं।

शिकायतकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने दावा किया कि उनके पास मामले में महत्वपूर्ण गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश से जुड़ी एक ‘ऑडियो रिकॉर्डिंग’ है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मिश्रा ने जमानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए एक जनसभा में हिस्सा लिया था।

मिश्रा की जमानत रद्द करने का अनुरोध करते हुए भूषण ने कहा कि अदालत उसके समक्ष पेश की गई सामग्री की प्रामाणिकता की जांच कर सकती है।

मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने भूषण की दलील का विरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को बेवजह निशाना बनाया जा रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि उक्त जनसभा के दिन उनके मुवक्किल दिल्ली में लोकसभा सचिवालय में थे।

पीठ ने भूषण और दवे से कहा कि वे अपनी सामग्री उत्तर प्रदेश सरकार की स्थायी वकील रुचिरा गोयल को सौंप दें, ताकि इसे लखीमपुर खीरी के एसपी को सौंपा जा सके।

भूषण ने कहा कि जांच किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए, न कि एसपी द्वारा, क्योंकि वह प्रभाव में आ सकते हैं।

पीठ ने कहा कि एसपी एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और अदालत को अधिकारियों पर भरोसा करना चाहिए।

पीठ ने मामले में आगे की आगे की सुनवाई के लिए चार सप्ताह बाद की तारीख तय की।

पिछले साल 27 नवंबर को शीर्ष अदालत ने मिश्रा को इस आरोप का जवाब देने का निर्देश दिया था कि मामले के गवाहों को धमकाया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 22 जुलाई को मिश्रा को जमानत दे दी थी और उनकी आवाजाही को दिल्ली या लखनऊ तक सीमित कर दिया था।

तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।

एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहन (एसयूवी) से चार किसानों को कुचल दिया गया था। इसके बाद गुस्साए किसानों ने एक चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

भाषा जोहेब प्रशांत

प्रशांत

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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