इंफाल, 26 अक्टूबर (भाषा) ‘कुकी आईएनपीआई’ और ‘कुकी चीफ्स एसोसिएशन’ ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए दावा किया है कि इससे ‘‘मूल निवासी समुदायों के सांस्कृतिक, पारंपरिक और ऐतिहासिक अधिकारों के हनन का खतरा है।’’
केंद्र सरकार ने इस वर्ष की शुरुआत में एफएमआर को रद्द करने का फैसला किया था, जो भारत-म्यांमा सीमा के करीब रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति देता है।
केंद्र ने 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का भी निर्णय लिया, जो मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से सटी है।
कुकी-जो समुदाय के दो शीर्ष संगठनों ने शनिवार को जारी एक संयुक्त बयान में दावा किया कि भारत-म्यांमा सीमा के दोनों तरफ लोगों की आवाजाही सीमा पार सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण ‘‘जीवनरेखा’’ है।
बयान में कहा गया कि प्रस्तावित बाड़बंदी इस क्षेत्र की अनूठी भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों की अनदेखी करती है, जहां सीमा के दोनों तरफ पारंपरिक भूमि और पारिवारिक संबंधों का तालमेल है।
इसमें कहा गया, ‘‘कृत्रिम अवरोध लगाने से हमारे समुदायों में दरार पड़ने, परिवारों के अलग-थलग पड़ने और हमारी पहचान के लिए अहम सांस्कृतिक प्रथाओं को बरकरार रखने का खतरा है।’’
भाषा शफीक रंजन
रंजन
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