Kota Student Suicide Case

Kota Student Suicide Case: ‘कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दे भारत सरकार..’ कोटा में आत्महत्या करने वाली छात्रा ने सुसाइड नोट में लिखी हैरान कर देने वाली बात

Kota Student Suicide Case: कोटा में आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने सुसाइड नोट में लिखी हैरान कर देने वाली बात

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Modified Date: January 20, 2025 / 01:46 PM IST
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Published Date: January 20, 2025 1:33 pm IST

Kota Student Suicide Case: शिक्षा नगरी कोटा में छात्रों के सुसाइड के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। लगातार एक के बाद एक स्टूडेंट के सुसाइड के मामले ने कोटा की छवि पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में कोटा में पढ़ने वाली छात्रा कृति ने सुसाइड कर लिया। वहीं, अब सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से अपील की है।

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छात्रा कृति ने सुसाइड नोट में लिखा कि,  “मैं भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से कहना चाहती हूं कि, अगर वो चाहते हैं कि कोई बच्चा न मरे तो जितनी जल्दी हो सके इन कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दें। ये कोचिंग छात्रों को खोखला कर देते हैं। पढ़ने का इतना दबाव होता है कि बच्चे बोझ तले दब जाते हैं। कृति ने लिखा कि, वो कोटा में कई छात्रों को डिप्रेशन और स्ट्रेस से बाहर निकालकर सुसाइड करने से रोकने में सफल हुई। लेकिन, खुद को नहीं रोक सकी। बहुत लोगों को विश्वास नहीं होगा कि मेरे जैसी लड़की जिसके 90+ मार्क्स हो वो सुसाइड भी कर सकती है। लेकिन, मैं आपलोगों को समझा नहीं सकती कि मेरे दिमाग और दिल में कितनी नफरत भरी है।

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अपनी माँ के लिए कृति ने लिखा कि, “आपने मेरे बचपन और बच्चा होने का फायदा उठाया और मुझे विज्ञान पसंद करने के लिए मजबूर करती रहीं। मैं भी विज्ञान पढ़ती रही ताकि आपको खुश रख सकूं। मैं क्वांटम फिजिक्स और एस्ट्रोफिजिक्स जैसे विषयों को पसंद करने लगी और उसमें ही बीएससी करना चाहती थी। लेकिन, मैं आपको बता दूं कि मुझे आज भी अंग्रेजी साहित्य और इतिहास बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि, ये मुझे मेरे अंधकार के वक्त में मुझे बाहर निकालते हैं।”

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कृति अपनी मां को चेतावनी देते हुए कहा कि- ‘इस तरह की चालाकी और मजबूर करनेवाली हरकत 11 वीं क्लास में पढ़नेवाली छोटी बहन से मत करना। वो जो बनना चाहती है और जो पढ़ना चाहती है, उसे वो करने देना। क्योंकि, वो उस काम में सबसे अच्छा कर सकती है जिससे वो प्यार करती है। इसको पढ़कर मन विचलित हो जाता है कि इस होड़ में हम अपने बच्चों के सपनो को छीन रहे है। आज हम लोग अपने परिवारों से प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं कि फलां का बेटा-बेटी डॉक्टर बन गया, हमें भी डॉक्टर बनाना है। फलां की बेटी-बेटा सीकर/कोटा हॉस्टल में है तो हम भी वहीं पढ़ाएंगे। चाहे उस बच्चे के सपने कुछ भी हो…हम उन्हें अपने सपने थोंप रहे है।

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कृति ने आगे कहा कि, आज हमारे स्कूल(कोचिंग संस्थान) बच्चों को परिवारिक रिश्तों का महत्व नही सीखा पा रहे, उन्हें असफलताओं या समस्याओं से लड़ना नही सीखा पा रहे। उनके जहन में सिर्फ एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा के भाव भरे जा रहे है जो जहर बनकर उनकी जिंदगियां लील रहा है। जो कमजोर है वो आत्महत्या कर रहा है व थोड़ा मजबूत है वो नशे की ओर बढ़ रहा है। जब हमारे बच्चे असफलताओ से टूट जाते है तो उन्हें ये पता ही नही है कि इससे कैसे निपटा जाएं। उनका कोमल हदय इस नाकामी से टूट जाता है इसी वजह से आत्महत्या बढ़ रही है।

बता दें कि कोटा में पढ़ाई के माहौल के बीच मानसिक तनाव भी स्टूडेंट में साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। साल 2025 के जनवरी माह में ही अब तक चार छात्रों ने सुसाइड किया है, जिसमें तीन जेईई की तैयारी कर रहे थे। वहीं एक नीट का स्टूडेंट शामिल है। इन छात्रों में मानसिक तनाव देखा गया है।

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कोटा में छात्रों के सुसाइड के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

कोटा में छात्रों पर पढ़ाई का दबाव, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और मानसिक तनाव को सुसाइड के मामलों का मुख्य कारण माना जा रहा है।

सरकार ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या कदम उठाए हैं?

सरकार और कोचिंग संस्थानों ने काउंसलिंग सत्र, हेल्पलाइन नंबर और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई पहल शुरू की हैं।

क्या हाल ही में किसी छात्रा का सुसाइड नोट सामने आया है?

हां, हाल ही में एक छात्रा कृति का सुसाइड नोट बरामद हुआ है, जिसमें उसने भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से अपील की है।

छात्रों के मानसिक तनाव को कैसे कम किया जा सकता है?

नियमित काउंसलिंग, परिवार और दोस्तों का समर्थन, स्वस्थ दिनचर्या, और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता छात्रों के तनाव को कम कर सकती है।

क्या कोचिंग संस्थानों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं?

हां, कोचिंग संस्थानों पर छात्रों पर अत्यधिक दबाव डालने और उनकी मानसिक स्थिति को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं। इस पर सरकार और स्थानीय प्रशासन से कार्रवाई की मांग हो रही है।
 
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