कोणार्कः Konark Surya Mandir ओडिशा के कोणार्क में स्थित सूर्य मंदिर भारत के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है, लेकिन अब सूर्य मंदिर में बड़ा बदलाव होने वाला है। दरसअल 119 साल के लंबे इंतजार के बाद सूर्य मंदिर से रेत हटाई जाएगी, जिसके बाद मंदिर का आकार बदल जाएगा। बताया जा रहा है कि इस काम में लगभग तीन साल का समय लगेगा। मंदिर से रेत निकालने का काम सफलता पूर्वक हो जाए इसलिए पूजा पाठ किया जा रहा है।
Konark Surya Mandir बता दें कि साल 1903 में अंग्रेजी सरकार ने सूर्य मंदिर के अग्रभाग की स्थिति और ऊपरी हिस्से के पत्थर खिसक रहे थे, जिससे मंदिर ढह सकता था। मंदिर न ढहे इसलिए अंग्रेजी सरकार ने गर्भ गृह को रेत में रेत भर दिया था। साथ मंदिर के पट भी हमेशा के लिए बंद कर दिए थे। लेकिन अब 119 साल बाद बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
एएसआई के एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत सूर्य मंदिर के गर्भगृह से बालू निकालने के लिए पहले चरण में एक निजी कंपनी, बीडीआर कंस्ट्रक्शन संस्थान इसके लिए मेकेनिकल वर्किंग प्लेटफार्म तैयार करेगी। इस प्लेटफॉर्म पर लिफ्ट और ट्रॉली जैसे मैकेनिकल सिस्टम के जरिए गर्भगृह से रेत और पत्थर निकाले जाएंगे। वहीं, दूसरे चरण में एएसआई पश्चिम द्वार के दूसरे स्तंभ के पास 4 फीट चौड़ी और 5 फीट ऊंचा रास्ता बनाकर गर्भगृह से बालू निकालेगा। एएसआई अधिकारी बीडीआर कंपनी के तकनीकी सहयोग से अगले 3 वर्षों के गर्भगृह के भीतर से रेत हटाने की योजना बना रहे हैं।
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इसी तरह से 2015 में गर्भगृह की आंतरिक स्थिति में क्या बदलाव आया है? इसका पता लगाने के लिए रुड़की स्थित सेंटर फॉर बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआर) ने पहले चरण में जीपीआरएस, लेजर स्कैनिंग और एंडोस्कोपी की और एएसआई को अपनी रिपोर्ट प्रदान की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि मुखशाला गर्भगृह के बीच रहने वाली रेत 17 फीट दबने के साथ ही पत्थरों के खिसकने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने भी सूर्य मंदिर की सुरक्षा को लेकर एएसआई की भूमिका पर सवाल उठाया था।