नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार कोडिकुनिल सुरेश अपने लंबे राजनीतिक जीवन में आठ बार के सांसद हैं। हंसमुख तथा सौम्य स्वभाव से वह अपनी एक अलग पहचान रखते हैं।
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में केरल उच्च न्यायालय ने उनके निर्वाचन को अमान्य घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने उस फैसले को पलटते हुए उनकी जीत पर मुहर लगा दी थी।
लोकसभा के अध्यक्ष पद के चुनाव में वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार ओम बिरला को चुनौती देंगे। बासठ वर्षीय सुरेश ने केरल के मावेलिक्करा (आरक्षित) सीट से सिर्फ 10,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की।
उनके नाम का पहला हिस्सा तिरुवनंतपुरम के कोडिकुनिल नामक स्थान पर रखा गया है, जहां उनका जन्म चार जून 1962 को हुआ था।
सुरेश पहली बार 1989 में अडूर लोकसभा सीट से चुने गए थे और फिर 1991, 1996 और 1999 के चुनावों में भी इसी संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए। परिसीमन के बाद अडूर लोकसभा क्षेत्र नहीं रहा। वह 1998 और 2004 में चुनाव हार गए।
वह 2009 में मावेलिक्करा सीट से फिर जीते, लेकिन उनकी जीत को उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ने चुनौती दी, जिन्होंने आरोप लगाया कि सुरेश ने एक नकली जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया और दावा किया कि वह एक ईसाई हैं।
केरल उच्च न्यायालय ने उनके निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उच्चतम न्यायालय ने इस फैसले को पलट दिया था।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पराजित उम्मीदवार ए एस अनिल कुमार और दो अन्य की चुनाव याचिका को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि सुरेश ‘चेरामार’ समुदाय का सदस्य नहीं हैं।
अदालत ने यह भी माना था कि उन्हें मावेलिक्करा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए ‘‘अयोग्य’’ ठहराया जाता है, क्योंकि यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
अदालत ने पाया था कि सुरेश ने कोट्टाराकारा और नेदुमंगड के तहसीलदारों द्वारा जारी विरोधाभासी जाति प्रमाण पत्र पेश किया था।
उस समय सुरेश ने मामला दायर किये जाने को लेकर अपनी ही पार्टी के एक हिस्से और विपक्षी दलों को दोषी ठहराया था, जिसे उन्होंने एक साजिश के रूप में देखा था। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व उनके साथ खड़ा था।
सुरेश विधि स्नातक हैं। उन्होंने 2014, 2019 और हाल ही में संपन्न 2024 के चुनावों में फिर से जीत हासिल की। उन्होंने अक्टूबर 2012 से 2014 तक श्रम राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
वह कई संसदीय समितियों के सदस्य रहे हैं। वह केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
भाषा हक हक दिलीप
दिलीप
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