प्रयागराज, सात जनवरी (भाषा) बचपन से आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखने वाली 13 वर्षीय राखी सिंह के मन में यहां महाकुम्भ मेले में अचानक वैराग्य जगा और माता पिता से साध्वी बनने की इच्छा व्यक्त की। किशोरी के माता पिता ने भी बेटी की इच्छा को प्रभु की इच्छा मानकर उसे जूना अखाड़ा को सौंप दिया।
यहां जूना अखाड़ा में प्रवास कर रहीं रीमा सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि महाराज पिछले तीन साल से उनके गांव में भागवत कथा सुनाने आ रहे हैं और वहीं उनकी 13 वर्षीय बेटी राखी सिंह ने गुरु दीक्षा ली थी।
उन्होंने बताया कि कौशल गिरि जी महाराज के कहने पर वह अपने पति संदीप सिंह और दो बेटियों के साथ पिछले महीने महाकुम्भ के इस शिविर में सेवा करने आयी थी। उन्होंने कहा, “एक दिन बेटी ने कहा कि वह साध्वी बनना चाहती है। इसे प्रभु की इच्छा मानकर हमने कोई विरोध नहीं किया।”
रीमा सिंह ने बताया कि बेटी राखी और आठ वर्षीय निक्की को पढ़ाने के लिए ही उन्होंने आगरा शहर में किराये का मकान लिया और पति वहां पेठा का कारखाना चलाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी राखी का सपना आईएएस अधिकारी बनने का था, लेकिन महाकुम्भ मेले में अचानक उसके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया।
जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि ने बताया कि परिवार ने बिना किसी दबाव के बेटी का दान किया है। उन्होंने कहा, ‘‘संदीप सिंह ढाकरे और उनकी पत्नी काफी समय से उनसे जुड़े हैं। परिवार की इच्छा से राखी को आश्रम में स्वीकार किया गया है और अब वह गौरी गिरि नाम से जानी जाएगी।’’
यह पूछने पर कि क्या उन्हें बेटी की चिंता नहीं सताएगी, रीमा सिंह ने कहा, “मां होने के कारण यह चिंता हमेशा रहेगी कि उनकी बेटी कहां और कैसी है। रिश्तेदार पूछते हैं कि आखिर किस कारण से उन्होंने बेटी दान कर दी, तो हम कहते हैं कि प्रभु की यही इच्छा थी।”
अखाड़े के एक संत ने बताया कि गौरी का पिंडदान और अन्य धार्मिक संस्कार 19 जनवरी को कराये जाएंगे जिसके बाद वह गुरु के परिवार की सदस्य हो जाएगी।
भाषा राजेंद्र अमित
अमित
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