बिहारशरीफ: किशोर न्याय परिषद ने बाल विवाह के एक मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया है। दरअसल न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने मानवीय पहलुओं को प्राथमिकता देते हुए दो नाबालिगों की शादी को वैध करार दिया है। हालांकि मामले में फैसला सुनाते हुए जज ने यह भी यह भी कहा है कि इस फैसले को आधार बनाकर किसी अन्य मामले में इसका लाभ नहीं लिया जा सकता है।
मामले में सुनवाई करने से पहले दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र ने तीन दिन तक दोनों नाबालिगों के माता-पिता के साथ काउंसिलिंग किया, जिसके बाद कोर्ट ने नाबालिग लड़के को बाल संप्रेक्षण गृह से आजाद कर दिया गया और उसकी 8 माह की बच्ची को भी उसे सौंप दिया गया।
जानिए पूरा मामला
दरअसल मामला साल 2019 का है। हिलसा थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग लड़की और नाबालिग लड़के ने भागकर शादी कर ली थी। इसके बाद दोनों भागकर दिल्ली चले गए। दिल्ली में रहने के दौरान नाबालिग लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया। इसी दौरान लड़की को केस दर्ज किए जाने की जानकारी मिली, तो वह अपनी बच्ची के साथ गांव लौट गई।
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गांव लौटने के बाद जब पुलिस ने उससे पूछताछ की, तो नाबालिग ने अपनी मर्जी से लड़के के साथ जाने की बात कबूल किया। इसके बाद किशोर 20 फरवरी 2021 को कोर्ट में सरेंडर किया। एडीजे छह सह स्पेशल पॉक्सो न्यायाधीश आशुतोश कुमार ने लड़के को न्यायिक हिरासत में लेकर प्लेस ऑफ सेफ्टी शेखपुरा भेज दिया। इसी दौरान मामले को 19 मार्च को किशोर की पेशी जेजेबी में हुई। इसमें कोर्ट ने केस का संज्ञान एवं सारांश (आरोप गठन) किया। 20 मार्च को हुई गवाही में दोनों पक्ष बच्ची के साथ किशोर दंपती को आपसी सहमति से स्वीकार करने को राजी हुए।
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