केशुभाई पटेल ने गुजरात में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया | Keshubhai Patel lifts BJP from zero to peak in Gujarat

केशुभाई पटेल ने गुजरात में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया

केशुभाई पटेल ने गुजरात में भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:47 PM IST
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Published Date: October 29, 2020 12:57 pm IST

अहमदाबाद, 29 अक्टूबर (भाषा) वरिष्ठ नेता केशुभाई भाजपा के ऐसे कद्दावर नेता थे जिन्होंने गुजरात में संगठन को बनाने और इसके विस्तार में बृहद् योगदान दिया और 1995 में राज्य में पार्टी की पहली सरकार का नेतृत्व किया।

गुजरात में भाजपा के ‘‘वयोवृद्ध नेता’’ के तौर पर प्रख्यात केशुभाई ने नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा नेताओं की एक पीढ़ी को दिशा दिखाई। मोदी उनके बाद राज्य के मुख्यमंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री बने।

किसान परिवार से आने वाले पटेल अपने राजनीति के शीर्ष स्तर पर 1995 में तब पहुंचे जब वह मुख्यमंत्री बने, लेकिन पार्टी में विद्रोह के चलते उनका कार्यकाल छोटा रहा।

वह दोबारा 1998 से 2001 तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन दूसरी बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।

पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, पटेल का निधन लंबी बीमारी के बाद बृहस्पतिवार को 92 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद में हो गया। हाल में वह कोरोना वायरस के संक्रमण से उबरे थे और स्वास्थ्य बिगड़ने पर आज सुबह उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

वह छह बार गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे और एक बार सांसद रहे।

वह गुजरात में 1995 में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे और दुबारा 1998 से 2001 तक इस पद पर रहे।

उनका जन्म जूनागढ़ जिले के विसवदर शहर में एक किसान परिवार में 1928 में हुआ था। पटेल ने राजकोट के मोहनदास गांधी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की।

वह काफी कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक बन गए थे।

जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू किया और आपातकाल के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना करने वाले नेताओं में शामिल थे।

उन्होंने नई पार्टी की विचारधारा के प्रसार और युवकों को पार्टी कार्यकर्ता बनने के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर अनथक काम किया और पूरे राज्य का दौरा किया।

उन्होंने आपातकाल का विरोध किया और कुछ समय के लिए जेल में भी रहे।

वह 1977 में राजकोट से सांसद बने। हालांकि बाद में सांसद पद से इस्तीफा देकर गुजरात के तत्कालीन गठबंधन सरकार में मंत्री के रूप में शामिल हुए।

भाजपा को पहली बार गुजरात में 1995 में बहुमत मिला और पटेल राज्य के मुख्यमंत्री बने।

लेकिन उनका कार्यकाल कुछ महीने तक ही रहा क्योंकि पार्टी के एक अन्य नेता शंकर सिंह वाघेला ने विद्रोह कर दिया और मुख्यमंत्री बन गए।

पटेल के नेतृत्व में भाजपा 1998 में फिर जीती और वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री के तौर पर उनके दूसरे कार्यकाल में गुजरात में जून 1998 में विनाशकारी चक्रवात आया जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई और 1999 तथा 2000 में वर्षा की कमी से राज्य को जल संकट का सामना करना पड़ा। कच्छ में 2001 में भीषण भूकंप आया जिसमें हजारों लोगों की जान गई।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इसके बाद पटेल की जगह नरेन्द्र मोदी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।

केशुभाई पटेल ने 2001 के बाद भाजपा में खुद को दरकिनार समझा। उन्होंने 2012 में पार्टी छोड़ दी और 84 वर्ष की उम्र में गुजरात परिवर्तन पार्टी का निर्माण किया, जिसे उस वर्ष विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो सीट हासिल हुई।

बाद में 2014 में उन्होंने पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।

पटेल श्री सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष भी थे जो सौराष्ट्र क्षेत्र के मशहूर सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन करता है।

उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दुख जताया है।

भाषा नीरज नीरज माधव

माधव

 

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