केरल उच्च न्यायालय ने निर्देशक रंजीत की अग्रिम जमानत याचिका बंद की, कहा- अपराध जमानती है |

केरल उच्च न्यायालय ने निर्देशक रंजीत की अग्रिम जमानत याचिका बंद की, कहा- अपराध जमानती है

केरल उच्च न्यायालय ने निर्देशक रंजीत की अग्रिम जमानत याचिका बंद की, कहा- अपराध जमानती है

:   Modified Date:  September 4, 2024 / 05:27 PM IST, Published Date : September 4, 2024/5:27 pm IST

कोच्चि, चार सितंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को निर्देशक रंजीत की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई बंद कर दी, क्योंकि पुलिस ने अदालत को अवगत कराया कि वह 2009 में उनके द्वारा कथित रूप से किए गए अपराध को जमानती मानने पर विचार कर रही है।

पश्चिम बंगाल की एक अभिनेत्री द्वारा 2009 में हुई एक घटना की शिकायत के आधार पर रंजीत बालकृष्णन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि निर्देशक ने 2009 में फिल्म ‘पलेरी मणिक्यम’ में अभिनय के लिए आमंत्रित करने के बाद उसे यौन-इच्छा की पूर्ति के इरादे से अनुचित तरीके से छुआ था।

फिल्म निर्देशक की ओर से पेश वकील के अनुसार, अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि 2009 में जिस अपराध के लिए रंजीत पर मामला दर्ज किया गया था, वह जमानती था और जांच अधिकारी इसे जमानती मानने पर विचार कर रहे हैं।

वकील ने बताया कि अभियोजन पक्ष का बयान दर्ज करने के बाद अदालत ने मामला बंद कर दिया।

न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के कुछ दिनों बाद सबसे पहले 60 वर्षीय रंजीत के खिलाफ ही यौन अपराध के लिए मामला दर्ज हुआ है।

रंजीत ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनके खिलाफ मामला ‘शिकायतकर्ता की निराशा और आक्रोश का परिणाम है, जिसे फिल्म में अभिनय के लिए नहीं चुने जाने पर कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फिर से भड़काया जा रहा है’’।

उन्होंने कहा है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व यह चाहते थे कि उन्हें ‘केरल चलचित्र अकादमी’ के अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए।

रंजीत ने अपनी याचिका में कहा था, ‘‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, लगाए गए आरोपों तथा विशेष रूप से इस तथ्य की पृष्ठभूमि में कि कथित घटना 15 साल पहले हुई थी, याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ बिल्कुल भी उचित नहीं है।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता के भागने का जोखिम नहीं है और वह जांच में सहयोग करने का वचन देते हैं।’’

हाल ही में, निर्देशक के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन अपराध) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66ई (गोपनीयता के उल्लंघन के लिए दंड) के तहत दूसरा मामला दर्ज किया गया था।

दूसरा मामला एक अभिनेता की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसने आरोप लगाया था कि निर्देशक ने उसे 2012 में बेंगलुरु के एक होटल में बुलाया, कपड़े उतारने के लिए कहा और उसकी नग्न तस्वीरें लीं।

शिकायतकर्ता ने कई टीवी चैनल के सामने यह भी दावा किया कि तस्वीरें एक जानी-मानी अभिनेत्री को भेजी गई थीं। हालांकि संबंधित अभिनेत्री ने इस आरोप से इनकार किया है।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश

 

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