कोच्चि, 18 दिसंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से पूछा कि क्या वह 2006 से राज्य में भारतीय वायुसेना द्वारा चलाए गए बचाव अभियानों के लिए हवाई सेवा शुल्क के रूप में मांगे गए 132 करोड़ रुपये में से लगभग 120 करोड़ रुपये छोड़ सकता है?
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति ईश्वरन एस की पीठ ने कहा कि अगर इस तरीके से 120 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिए गए तो इस राशि का उपयोग वायनाड में भूस्खलन पीड़ितों के पुनर्वास के लिए तत्काल किया जा सकता है।
पीठ ने केंद्र से कहा कि वह 120 करोड़ रुपये अस्थायी रूप से उपलब्ध कराने की अनुमति देने और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ)/राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) मानदंडों में ढील देने पर विचार करे ताकि इस राशि का उपयोग पुनर्वास उद्देश्य के लिए किया जा सके।
अदालत ने कहा, “यह एक नेक उद्देश्य के लिए है, इसलिए केंद्र सरकार को इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।” अदालत ने इस पहलू पर केंद्र के जवाब की प्रतीक्षा के लिए मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी 2025 को नियत की।
सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि राज्य द्वारा वायनाड के पुनर्वास के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता मांगने के ठीक बाद अक्टूबर में हवाई सेवा शुल्क के रूप में 132 करोड़ रुपये का बिल भेजना एक “मनोवैज्ञानिक कदम” था।
पीठ ने कहा, “इन सभी मनोवैज्ञानिक चीजों को हटा दीजिए।”
रक्षा मंत्रालय ने केरल सरकार से 2006 से राज्य में भारतीय वायुसेना द्वारा किए गए बचाव कार्यों के लिए 132 करोड़ रुपये की मांग की है और यह मांग वायनाड जिले में विनाशकारी भूस्खलन में तीन गांवों के तबाह होने जाने के बाद की गई है।
कथित बकाया बिल का एक बड़ा हिस्सा (100 करोड़ रुपये से अधिक) 2018 की बाढ़ के दौरान बचाव कार्यों के लिए है, जिसने राज्य को तबाह कर दिया था। इसमें 30 जुलाई को वायनाड जिले के तीन गांवों में हुए भूस्खलन के मद्देनजर भारतीय वायुसेना के अभियानों के लिए 13 करोड़ रुपये से अधिक के बिल भी शामिल हैं।
भाषा
नोमान मनीषा
मनीषा
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