कोच्चि, 18 मार्च (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने इडुक्की के कांग्रेस नेता आंचेरी बेबी की 1982 में हुई हत्या के सिलसिले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) विधायक एवं राज्य के पूर्व विद्युत मंत्री एम. एम. मणि और दो अन्य को शुक्रवार को आरोप-मुक्त कर दिया।
न्यायमूर्ति सुनील थॉमस ने कहा कि उपलब्ध तथ्यों के आकलन के बाद यह मानने का कोई आधार नजर नहीं आता कि आरोपियों ने अपराध किया है और इसलिए वे आरोप-मुक्त किये जाने के हकदार हैं।
उच्च न्यायालय का आदेश मणि, कुट्टप्पन और ओ जी माधनन की पुनरीक्षण याचिकाओं पर आया है, जिन्होंने आंचेरी बेबी की हत्या के सिलसिले में सत्र अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। सत्र अदालत ने आरोपियों को आरोप मुक्त करने की याचिकाएं खारिज कर दी थी।
वर्ष 1986 में सत्र अदालत ने हत्या के सिलसिले में सभी नौ आरोपियों को बरी कर दिया था और इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में की गयी अपील 1990 में खारिज हो गयी थी।
मणि ने 2012 में इडुक्की में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कई राजनीतिक हत्याओं का जिक्र किया था, जिनमें बेबी का नाम भी शामिल था। उसके बाद उनके बयान के आधार पर माकपा नेता के खिलाफ फिर से एक मामला दर्ज किया गया था।
वर्ष 2012 के मामले में अभियोजन पक्ष ने 1982 के इस हत्याकांड के नौ में से तीन आरोपियो को गवाह बनाया था और दावा किया था कि उनलोगों को पूर्व के मामले में गलत तरीके से आरोपी बनाया गया था। लेकिन एक चश्मदीद ने कहा कि आरोपी से गवाह बने तीनों व्यक्ति बेबी पर हमला करने वालों में शामिल थे।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह अभियोजन का स्व-विरोधाभासी और परस्पर नुकसान पहुंचाने वाला बयान है।’’
इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने सत्र अदालत के आदेश के के खिलाफ पुनरीक्षण याचिकाओं को स्वीकार कर लिया और निचली अदालत का आदेश खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, ‘‘पुनरीक्षण याचिका दायर करने वाले सभी आरोपियों को आरोप-मुक्त किया जाता है।’’
भाषा सुरेश सुभाष
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