तिरुवनंतपुरम, एक जनवरी (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने संत-समाज सुधारक श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में चित्रित करने के ‘‘संगठित प्रयासों’’ के खिलाफ चेतावनी वाले अपने बयान को बुधवार को एक बार फिर दोहराया।
विजयन ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैंने सनातन धर्म के बारे में जो भी कहा उस पर कायम हूं।”
विजयन से मंगलवार को शिवगिरि तीर्थ सम्मेलन में उनके द्वारा दिए गए बयान की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा की रही आलोचना के बारे में पूछा गया था।
विजयन ने शिवगिरि में सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि लोगों के लिए ‘एक जाति, एक धर्म और एक ईश्वर’ की वकालत करने वाले गुरु न तो सनातन धर्म के प्रवक्ता थे और न ही इसके अनुयायी, बल्कि वह एक संत हैं जिन्होंने सनातन धर्म का पुनर्निर्माण किया और नए युग के अनुरूप उपयुक्त धर्म की घोषणा की।
मुख्यमंत्री के बयान पर भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने शिवगिरि की पवित्र भूमि पर अपनी टिप्पणी के माध्यम से सनातन धर्म और श्री नारायण गुरु के अनुयायियों का अपमान किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता वी मुरलीधरन ने कहा, “शिवगिरि सम्मेलन में विजयन के भाषण का सार यह था कि सनातन धर्म से घृणा की जानी चाहिए। उनकी टिप्पणी उदयनिधि स्टालिन के उस बयान के क्रम में थी जिसमें द्रमुक नेता ने कहा था कि सनातन धर्म को मिटा दिया जाना चाहिए।”
विजयन ने अपने बयान को दोहराते हुए बुधवार को कहा कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह श्री नारायण गुरु और सनातन धर्म पर उनकी राय है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थक के रूप में नहीं देखा जा सकता। वास्तव में, गुरु ने इसे सुधारने में मुख्य भूमिका निभाई थी। अगर आप इसका इतिहास देखेंगे तो आपको इसके बारे में पता चल जाएगा।”
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
नेत्रपाल
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