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बेंगलुरु: Karnataka Sports Minister B Nagendra resigns कर्नाटक में एक सरकारी निगम से जुड़े अवैध धनराशि अंतरण मामले में आरोपों से घिरे अनुसूचित जनजाति (एसटी) कल्याण मंत्री बी. नागेन्द्र ने मंत्री पद से इस्तीफे की बृहस्पतिवार को घोषणा की। इसे सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली एक वर्ष पुरानी सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है। मंत्री ने कहा कि वह अपना इस्तीफा शाम साढ़े सात बजे मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को सौंपेंगे। नागेन्द्र ने कहा, ‘‘इस्तीफे के लिए किसी ने मेरे ऊपर दबाव नहीं बनाया। मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर खुद से इस्तीफा देने का फैसला किया है, ताकि लोगों को मेरे बारे में गुमराह नहीं किया जाए। मैंने मुख्यमंत्री से मुलाकात का समय मांगा है और उन्होंने मुझे शाम साढ़े सात बजे बुलाया है। मैंने उन्हें अभी तक नहीं कहा है कि मैं इस्तीफा दूंगा।’’
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Karnataka Sports Minister B Nagendra resigns युवा सशक्तीकरण एवं खेल मंत्रालय का भी प्रभार देख रहे नागेन्द्र ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह किसी भी रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री (सिद्धरमैया) या उपमुख्यमंत्री (डी के शिवकुमार) या पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम. मल्लिकार्जुन खरगे को शर्मिंदा नहीं करना चाहते हैं। मैं अपनी इच्छा से इस्तीफा दे रहा हूं। एसआईटी (विशेष जांच दल) मामले की जांच कर रही है और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यदि जांच के दौरान मैं मंत्री पद पर रहा तो इससे समस्या हो सकती है। इसके मद्देनजर मैंने (इस्तीफा देने का) फैसला किया है। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को निराधार करार दिया है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में ‘निर्दोष’ साबित होंगे।
इससे पहले, उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कहा था कि एक सरकारी निगम से जुड़े अवैध धनराशि अंतरण मामले में आरोपों से घिरे मंत्री बी नागेंद्र ने इस्तीफा नहीं दिया है। उसके कुछ ही मिनट पहले उन्होंने घोषणा की थी कि नागेंद्र ने अपना पद छोड़ दिया है। शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री नागेंद्र आज बाद में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के पश्चात इस्तीफा देंगे। उपमुख्यमंत्री ने चार बार के विधायक नागेंद्र (52) के हवाले से कहा कि वह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) समेत किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कई लोगों से भी बातचीत हुई थी, कोई भी मंत्री इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी करने का साहस नहीं दिखायेगा। यह आसान नहीं है।’’ लेकिन शीघ्र ही शिवकुमार की नागेन्द्र से टेलीफोन पर बातचीत हुई और उस बातचीत के बाद उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (नागेन्द्र ने) अब मुझे कहा है कि वह विधान सौध जा रहे हैं, वह प्रेस को संबोधित करेंगे और फिर उसके बाद अपना इस्तीफा सौंपेंगे।
कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से संबंधित यह अवैध धनराशि अंतरण मामला उस वक्त सामने आया जब उसके लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली। मरने से पहले चंद्रशेखर ने एक ‘सुसाइड नोट’ लिखा था। इस नोट में निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के अवैध अंतरण का खुलासा किया गया था। इस रकम में से 88.62 करोड़ रुपये कथित रूप से ‘जानी-मानी’ आईटी कंपनियों के विभिन्न खातों एवं हैदराबाद के एक सहकारी बैंक में डाले गये थे।चंद्रशेखर ने नोट में निगम के अब निलंबित प्रबंध निदेशक जे एच पद्मनाभ, लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरूगन्नवार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल के नामों का उल्लेख किया है। उन्होंने नोट में कहा है कि ‘‘मंत्री’’ ने धनराशि अंतरण का मौखिक आदेश दिया था।