कर्नाटक उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश की विवादास्पद टिप्पणी के बाद कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीम’ पर नियम कड़े किए |

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश की विवादास्पद टिप्पणी के बाद कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीम’ पर नियम कड़े किए

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने न्यायाधीश की विवादास्पद टिप्पणी के बाद कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीम’ पर नियम कड़े किए

:   Modified Date:  September 23, 2024 / 08:14 PM IST, Published Date : September 23, 2024/8:14 pm IST

बेंगलुरु, 23 सितंबर (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने न्यायिक कार्यवाही की ‘लाइव-स्ट्रीम’ (सीधा प्रसारण) को लेकर सख्त दिशानिर्देश पेश किए हैं ताकि सोशल मीडिया मंचों पर क्लिप को अनधिकृत तौर पर साझा करने से रोका जा सके।

यह कदम एकल न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों के बाद उठाया गया है। सुनवाई की‘लाइव-स्ट्रीम’ की जा रही थी और उसी दौरान न्यायाधीश ने कुछ टिप्पणियां कीं जिनका वीडियो वायरल होने के बाद व्यापक आलोचना हुई।

उच्च न्यायालय ने “रिकॉर्डिंग या ‘लाइव स्ट्रीम’ के उपयोग पर प्रतिबंध ” शीर्षक से एक नोट जारी किया है, जिसे अब ‘लाइव-स्ट्रीम’ किए गए सत्रों की शुरुआत में प्रदर्शित किया जाता है।

नोट में ‘लाइव-स्ट्रीम’ की गई कार्यवाही और अभिलेखीय डेटा को अनधिकृत रूप से रिकॉर्ड करने, साझा करने या प्रसार करने को प्रतिबंधित किया गया है।

अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि इन नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को भारतीय कॉपीराइट अधिनियम 1957 व सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के साथ-साथ अदालत की अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा।

इसके अलावा, नोट में उच्च न्यायालय ने रेखांकित किया कि अदालत रिकॉर्डिंग पर विशेष कॉपीराइट है तथा अधिकृत रिकॉर्डिंग का उपयोग – समाचार, शैक्षणिक और प्रशिक्षण उद्देश्यों के लिए किए जाने की अनुमति है, लेकिन इनका संपादन नहीं किया जा सकता है या व्यावसायिक उपयोग के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

यह परिवर्तन न्यायमूर्ति वी. श्रीशानंद की टिप्पणी के बाद किया गया है। टिप्पणी के कारण जनता में भारी आक्रोश फैल गया था और न्यायाधीश को खेद व्यक्त करना पड़ा था।

मीडिया रिपोर्ट के बाद उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है और उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

बेंगलुरु एडवोकेट्स एसोसिएशन ने भी ‘लाइव स्ट्रीम’ पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की है और न्यायाधीशों से कार्यवाही के दौरान अधिक संवेदनशीलता बरतने का आग्रह किया है।

भाषा नोमान रंजन

रंजन

 

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