बेंगलुरू, 28 मार्च (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केनरा बैंक को निर्देश दिया है कि वह किसी सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी से बकाया ऋण वसूली के लिए उसकी पेंशन में से 50 प्रतिशत से अधिक की कटौती न करे।
अदालत ने कहा कि पेंशन सेवानिवृत्त लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा का काम करती है और इसे धोखाधड़ी, जालसाजी या कदाचार के मामलों को छोड़कर पूरी तरह से ऋण चुकाने में नहीं लगाया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति एस जी पंडित ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंकों को बकाया राशि वसूलने का कानूनी अधिकार है, लेकिन उन्हें पेंशनभोगियों की आजीविका की सुरक्षा करने वाले नियमों का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पेंशनभोगी की वित्तीय स्थिरता आवश्यक है और उन्हें ऋण चुकाने के लिए अपनी पूरी पेंशन छोड़ने के लिए मजबूर करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा।
यह मामला अदालत के समक्ष 70 वर्षीय मुरुगन ओ के द्वारा लाया गया, जो केनरा बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं तथा वर्तमान में केरल के त्रिशूर में रहते हैं।
मुरुगन 30 नवंबर 2014 को सेवानिवृत्त हुए थे और अपनी पेंशन के एक हिस्से से लगातार अपने लोन की ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं। हालांकि, जुलाई 2024 से, केनरा बैंक ने बकाया चुकाने के लिए उनकी पूरी पेंशन काटनी शुरू कर दी, जिसके कारण उन्हें कानूनी हस्तक्षेप की मांग करनी पड़ी।
उन्होंने न्यायालय से यह भी अनुरोध किया कि बैंक को उस शैक्षणिक ऋण पर दंडात्मक ब्याज लगाने से रोका जाए, जिसके लिए वह अपनी बेटी के साथ सह-देनदार थे।
केनरा बैंक ने तर्क दिया कि मुरुगन पर साढे आठ लाख रुपये बकाया हैं।
बैंक ने कहा कि बकाया राशि वसूलने का उसे अधिकार है।
हालांकि, अदालत ने फैसला सुनाया कि बैंक ऋण वसूली के लिए उनकी पेंशन का केवल 50 प्रतिशत ही काट सकता है।
भाषा योगेश दिलीप
दिलीप
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