Justice Sanjiv Khanna became the 51st Chief Justice of India

New Chief Justice of India: जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें चीफ जस्टिस, चुनावी बॉन्ड से लेकर केजरीवाल को जमानत तक, ले चुके हैं कई बड़े फैसले

जस्टिस संजीव खन्ना बने भारत के 51वें चीफ जस्टिस, Justice Sanjiv Khanna became the 51st Chief Justice of India

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Modified Date: November 11, 2024 / 03:10 PM IST
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Published Date: November 11, 2024 10:26 am IST

नई दिल्लीः New Chief Justice of Indiaन्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने सोमवार को भारत के 51वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में न्यायमूर्ति खन्ना को पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति खन्ना छह महीने से अधिक समय तक प्रधान न्यायाधीश के रूप में कार्य करेंगे। वह 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ का स्थान लिया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर रविवार को सेवानिवृत्त हो गए।

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New Chief Justice of India बता दें कि 14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की। दिल्ली हाई कोर्ट के जज नियुक्त होने से पहले वे तीसरी पीढ़ी के वकील थे। उन्होंने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जैसे EVM की पवित्रता को बनाए रखना, चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करना, अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना।

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कैसा रहा है संजीव खन्ना का अब तक का कार्यकाल?

ये भी सुखद संयोग रहा कि जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्च में जज के रूप में 18 जनवरी 2019 को सीजेआई की कोर्ट में शपथ लेने के बाद अपना पहला दिन उसी न्यायालय कक्ष यानी दो नंबर कोर्ट से शुरू किया, जहां से उनके चाचा जस्टिस एच।आर। खन्ना ने इस्तीफा देकर रिटायरमेंट ली थी। जस्टिस एच।आर। खन्ना की तस्वीर भी कोर्ट रूम में लगी है। सुप्रीम कोर्ट में अपने अब तक के कार्यकाल में जस्टिस खन्ना कई महत्वपूर्ण मुकदमों के लिए गठित संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं। ऐसी ही संविधान पीठ और बड़ी पीठ के फैसलों में चुनावी बांड योजना प्रमुख है। इसमें बॉन्ड योजना को असंवैधानिक होने के कारण रद्द कर दिया गया।

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