न्यायपालिका राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त होनी चाहिए: ममता बनर्जी |

न्यायपालिका राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त होनी चाहिए: ममता बनर्जी

न्यायपालिका राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त होनी चाहिए: ममता बनर्जी

:   Modified Date:  June 29, 2024 / 04:12 PM IST, Published Date : June 29, 2024/4:12 pm IST

कोलकाता, 29 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसी भी राजनीतिक पूर्वाग्रह से मुक्त न्यायपालिका का आह्वान करते हुए शनिवार को कहा कि इसे बिल्कुल निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए।

बनर्जी ने यह भी कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र, संविधान और लोगों के हितों के संरक्षण के लिए भारत की नींव का बड़ा स्तंभ है।

मुख्यमंत्री ने यहां राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी (पूर्वी क्षेत्र) के द्वितीय क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर कहा, ‘‘कृपया ध्यान रखें कि न्यायपालिका में कोई राजनीतिक पक्षपात न हो। न्यायपालिका पूरी तरह से पक्षपात रहित, ईमानदार और पवित्र होनी चाहिए। लोगों को इसकी पूजा करनी चाहिए।’’

कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवज्ञानम भी मौजूद थे।

बनर्जी ने कहा कि न्यायपालिका लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मंदिर है और न्याय प्रदान करने का सर्वोच्च प्राधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर की तरह है। न्यायपालिका लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए है…और न्याय पाने और संवैधानिक अधिकारों को बनाए रखने के लिए अंतिम मंच है।’’

उन्होंने सम्मेलन में भाग ले रहे पूर्वोत्तर और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों को नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए आग्रह किया कि उन्हें बड़े अवसर दिए जाएं।

अदालतों में डिजिटलीकरण के लिए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की सराहना करते हुए बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल ‘‘ई-गवर्नेंस में सभी राज्यों में नंबर वन है।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य में न्यायिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और राजारहाट न्यू टाउन में उच्च न्यायालय के नये परिसर के लिए जमीन उपलब्ध कराई है।

बनर्जी ने कहा कि राज्य में 88 ‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले केंद्र सरकार ने इन अदालतों की स्थापना के लिए सहायता प्रदान की थी, लेकिन पिछले सात-आठ वर्षों से यह प्रावधान वापस ले लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अठासी त्वरित अदालतों में से 55 महिलाओं के लिए हैं। छह पॉक्सो अदालत भी हैं।’’

भाषा आशीष सुरेश

सुरेश

 

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