जेपीसी ने संशोधित वक्फ विधेयक को स्वीकारा, विपक्ष ने असंवैधानिक बताया |

जेपीसी ने संशोधित वक्फ विधेयक को स्वीकारा, विपक्ष ने असंवैधानिक बताया

जेपीसी ने संशोधित वक्फ विधेयक को स्वीकारा, विपक्ष ने असंवैधानिक बताया

Edited By :  
Modified Date: January 29, 2025 / 03:06 PM IST
,
Published Date: January 29, 2025 2:24 pm IST

( तस्वीर सहित )

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को कहा कि समिति ने रिपोर्ट और प्रस्तावित कानून के संशोधित संस्करण को बहुमत से स्वीकार कर लिया।

विपक्षी सदस्यों ने स्वीकार किए गए विधेयक की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह ‘असंवैधानिक’ है तथा मुसलमानों के धार्मिक मामलों में सरकार के हस्तक्षेप का रास्ता खोलेगा जिस कारण वक्फ बोर्ड खत्म हो जाएंगे।

विधेयक को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई।

पाल ने दावा किया कि समिति द्वारा अनुमोदित कई संशोधनों ने विपक्षी सदस्यों की कई चिंताओं को भी संबोधित किया है तथा विधेयक के कानून के शक्ल में लागू होने के बाद वक्फ बोर्ड को अपने कर्तव्यों को पारदर्शी और अधिक प्रभावी ढंग से निर्वहन करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि पहली बार ‘‘पसमांदा’’ (पिछड़े) मुसलमानों, गरीबों, महिलाओं और यतीमों को वक्फ के लाभार्थियों में शामिल किया गया है।

अनुभवी भाजपा नेता ने कहा कि रिपोर्ट बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी जाएगी।

जब उनसे पूछा गया कि क्या विधेयक 31 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में पारित किया जाएगा, तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि अब बिरला और संसद को आगे के कदम का फैसला करना है।

समिति ने पिछले साल आठ अगस्त को अपने गठन के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में 38 बैठकें कीं और देश के कई राज्यों का दौरा किया तथा अपने निष्कर्षों पर पहुंचने के लिए हितधारकों से परामर्श भी किया।

कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप) और एआईएमआईएम के सांसदों सहित कई विपक्षी सांसदों ने पाल के तहत समिति की कार्यप्रणाली और विधेयक के स्वीकृत संस्करण की तीखी आलोचना की।

उनमें से कुछ ने अपनी असहमति दर्ज करा दी है और अन्य बुधवार शाम 4 बजे की समयसीमा तक अपने अपने असहमति पत्र दे देंगे।

विपक्षी सदस्यों ने कहा कि 655 पृष्ठों की रिपोर्ट उन्हें मंगलवार रात को वितरित की गई थी, और उन्हें इसका अध्ययन करने और अपना असहमति पत्र तैयार करने के लिए बहुत कम समय दिया गया था।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि समिति की टिप्पणियां और सिफारिशें ‘‘पूरी तरह से विकृत हैं।’’

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रस्तावित कानून वक्फ बोर्डों को नष्ट कर देगा और इसके कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप का रास्ता बना देगा।

कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने संशोधनों को ‘‘असंवैधानिक’’ बताया और आरोप लगाया कि विधेयक का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाना है।

द्रमुक सांसद ए. राजा ने कहा कि उनकी पार्टी संसद से पारित होने के बाद प्रस्तावित कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।

आलोचना को खारिज करते हुए, भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।

उन्होंने दावा किया कि इससे मुस्लिम समुदाय सशक्त होगा।

विधेयक मौजूदा कानून में ‘‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’’ खंड को हटाने के सरकार के रुख को स्वीकार करता है, लेकिन इसमें यह भी जोड़ा गया है कि ऐसी संपत्तियों के खिलाफ पूर्वगामी आधार पर कोई भी मामला फिर से नहीं खोला जाएगा, बशर्ते कि ये विवाद में न हों या सरकार के न हों।

अपनी 655 पृष्ठों की मसौदा रिपोर्ट में वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त समिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि वक्फ संपत्ति की ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ परिभाषा को हटाने के प्रावधान आगामी समय से प्रभावी होंगे।

सूत्रों ने मंगलवार को कहा था कि समिति ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के सरकार के कदम का भी समर्थन किया है और कहा है कि वे ‘लाभार्थी, विवादों के पक्षकार’’ हो सकते हैं।

यह सरकार के साथ विवादों के मामलों में संबंधित जिला कलेक्टर के पास निहित जांच शक्ति को समाप्त कर देता है तथा राज्य सरकार को मामले की जांच के लिए कलेक्टर से वरिष्ठ अधिकारी को नामित करने का अधिकार मिलता है।

समिति ने गत सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था।

समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘दमनकारी’ चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा।

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था।

विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।

भाषा हक हक मनीषा

मनीषा

मनीषा

Follow Us

Follow us on your favorite platform:

 
Flowers