जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने येचुरी को ‘लाल सलाम’ के साथ विदाई दी |

जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने येचुरी को ‘लाल सलाम’ के साथ विदाई दी

जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने येचुरी को ‘लाल सलाम’ के साथ विदाई दी

:   Modified Date:  September 13, 2024 / 08:02 PM IST, Published Date : September 13, 2024/8:02 pm IST

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सैकड़ों छात्रों और संकाय सदस्यों ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी को जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) कार्यालय में शुक्रवार को श्रद्धांजलि दी।

येचुरी का पार्थिव शरीर जेएनयूएसयू में रखा गया था।

माकपा महासचिव येचुरी का बृहस्पतिवार को निधन हो गया था। उनकी हालत पिछले कुछ दिनों से गंभीर थी और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के आईसीयू में श्वसन संबंधी संक्रमण को लेकर उनका इलाज हो रहा था। उन्हें 19 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

वामपंथी समर्थकों ने नारे ‘लाल सलाम’ के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी। येचुरी के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे ताबूत में रखा गया था।

यहां माला से सजी दिग्गज नेता की तस्वीर के ऊपर बैनर लगाया गया था जिस पर लिखा था ‘‘कॉमरेड सीताराम येचुरी अमर रहें।’’

राजनीति में येचुरी का सफर जेएनयू में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से शुरू हुआ था जिसमें वह 1974 में शामिल हुए और आपातकाल के दौरान कुछ महीने बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

उन्होंने 1977-78 के दौरान तीन बार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

येचुरी 1978 में एसएफआई के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव चुने गए और बाद में इसके अध्यक्ष बने।

वर्ष 1978 में एसएफआई का अध्यक्ष चुने जाने के साथ ही वह इस पद पर आसीन होने वाले पहले व्यक्ति थे, जो पश्चिम बंगाल या केरल से नहीं था।

येचुरी के परिवार में उनकी पत्नी सीमा चिश्ती हैं, जो वर्तमान में समाचार पोर्टल ‘द वायर’ की संपादक हैं। उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक पुत्र दानिश और पुत्री अखिला हैं। उनके बड़े बेटे आशीष येचुरी का 2021 में कोविड के कारण निधन हो गया था। उनकी पहली शादी इंद्राणी मजूमदार से हुई थी।

भाषा खारी प्रशांत

प्रशांत

 

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