झांसी अस्पताल अग्निकांड: नर्स की बहादुरी से बची 15 बच्चों की जान |

झांसी अस्पताल अग्निकांड: नर्स की बहादुरी से बची 15 बच्चों की जान

झांसी अस्पताल अग्निकांड: नर्स की बहादुरी से बची 15 बच्चों की जान

:   Modified Date:  November 17, 2024 / 10:36 PM IST, Published Date : November 17, 2024/10:36 pm IST

(अरुणव सिन्हा)

लखनऊ/झांसी, 17 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के झांसी में एक अस्पताल में आग लगने की घटना में 10 बच्चों की मौत ने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया लेकिन हादसे के दौरान एक नर्स ने जज्बा दिखाते हुए स्टाफकर्मियों की मदद से 15 बच्चों को बचाकर बाहर निकालन में सफलता हासिल की।

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हुई घटना के वक्त नर्स मेघा जेम्स ड्यूटी पर थीं।

अस्पताल के नवजात शिशु चिकित्सा इकाई में अचानक आग लगने पर जहां एक तरफ अफरा-तफरी मची थी वहीं मेघा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अन्य स्टाफकर्मियों की मदद से करीब 15 बच्चों को बचाने में सफलता हासिल की।

बच्चों को बचाते वक्त मेघा के कपड़ों का एक हिस्सा जल गया लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

मेघा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से घटना का जिक्र करते हुए कहा, “मैं एक बच्चे को टीका लगाने के लिए सिरिंज लेने गई थी। जब मैं वापस आई तो मैंने देखा कि (ऑक्सीजन) कंसंट्रेटर में आग लगी हुई थी। मैंने वार्ड बॉय को बुलाया। वह आग बुझाने वाले यंत्र को लाया और आग बुझाने की कोशिश की लेकिन तब तक आग फैल चुकी थी।”

उन्होंने बताया, “मेरी चप्पल में आग लग गई और मेरा पैर जल गया। फिर मेरी सलवार में आग लग गई। किसी तरह दूसरी सलवार पहनकर में बचाव अभियान में जुट गयी। बहुत धुआं था और एक बार जब लाइट चली गई तो हम कुछ भी नहीं देख पाए। फिर भी मैं और स्टाफ के कुछ साथी कम से कम 14 से 15 बच्चों को बचाकर बाहर लाये। वार्ड में 11 बेड थे, जिन पर 23-24 बच्चे थे।”

मेघा ने बताया कि अगर लाइट नहीं गयी होती तो और भी बच्चों को बचाया जा सकता था।

उन्होंने कहा, “यह सब बहुत अचानक हुआ। हममें से किसी ने भी इसकी उम्मीद नहीं की थी।”

सहायक नर्सिंग अधीक्षक नलिनी सूद ने नर्स मेघा जेम्स की बहादुरी की सराहना की।

उन्होंने बताया, “अस्पताल के कर्मचारियों ने बच्चों को बाहर निकालने के लिए एनआईसीयू वार्ड के शीशे तोड़ दिए। इस बीच नर्स मेघा के कपड़ों में आग लग गई लेकिन इससे विचलित हुए बगैर वह बच्चों को बचाने के लिए डटी रहीं।”

सूद ने बताया कि मेघा का अभी उसी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।

नर्सिंग अधीक्षक ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि वह (मेघा) आग में कितनी बुरी तरह झुलसी हैं।

मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एनेस्थिसियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर अंशुल जैन ने दावा किया कि अस्पताल ने प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया था, जिसकी वजह से कई लोगों की जान बचायी जा सकी।

झांसी के जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने बताया कि आग से बचाए गए एक नवजात की रविवार को बीमारी के कारण मौत हो गई।

भाषा अरुणव सलीम जितेंद्र

जितेंद्र

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)