जम्मू कश्मीर : नेकां के खालिद नजीब तीन बार शिकस्त मिलने के बावजूद फिर से डोडा से किस्मत आजमाएंगे |

जम्मू कश्मीर : नेकां के खालिद नजीब तीन बार शिकस्त मिलने के बावजूद फिर से डोडा से किस्मत आजमाएंगे

जम्मू कश्मीर : नेकां के खालिद नजीब तीन बार शिकस्त मिलने के बावजूद फिर से डोडा से किस्मत आजमाएंगे

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Modified Date: September 8, 2024 / 10:02 PM IST
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Published Date: September 8, 2024 10:02 pm IST

(अनिल भट्ट)

डोडा, आठ सितंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के डोडा विधानसभा क्षेत्र में लगातार तीन चुनावों में मिली हार की परवाह किये बिना, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के खालिद नजीब सुहरावर्दी जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में एक बार फिर इस सीट से अपनी किस्मत आजमाएंगे।

उनके पिता अताउल्ला सुहरावर्दी ने 1987 और 1996 में दो बार यह सीट जीती थी। एक साल बाद, जब उनका निधन हो गया, तो उनके बेटे ने 1997 के उपचुनाव में यह सीट जीती, जो वहां से उनकी पहली और एकमात्र जीत थी।

खालिद 2002 और 2008 के विधानसभा चुनावों में इस निर्वाचन क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकरार रखने में विफल रहे, जब अब्दुल मजीद वानी ने क्रमश: निर्दलीय और बाद में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की।

वर्ष ​​2014 के चुनाव में, भाजपा के शक्ति परिहार ने यह सीट जीती। वहीं, खालिद तीसरे स्थान पर रहे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की कैबिनेट में गृह राज्य मंत्री रहे खालिद इस बार यह सीट जीतने को लेकर आशावादी हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले 10 सालों में निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए कड़ी मेहनत की है।

खालिद ने कहा, ‘‘एक दशक के बाद जम्मू कश्मीर में चुनाव हो रहे हैं और पार्टी ने अनुभवी उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। मुझे इस बार नेकां के लिए जीत हासिल करने का पूरा भरोसा है।’’

डोडा जिला मुख्यालय स्थित जामिया मस्जिद में नमाज अदा कराने वाले मौलवी खालिद अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को दोबारा बहाल किये जाने के प्रबल समर्थक हैं।

डोडा विधानसभा क्षेत्र में, पहले चरण में 18 सितंबर को मतदान होना है। इस सीट पर मुख्य रूप से पांच उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है, जिनमें खालिद सुहारवर्दी, डीपीएपी के अब्दुल मजीद वानी, भाजपा के गजय सिंह राणा, कांग्रेस के शेख रियाज अहमद और पीडीपी के मंसूर अहमद बट्ट शामिल हैं।

इस बीच, भाजपा उम्मीदवार राणा ने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य क्षेत्र में शांति, प्रगति और विकास सुनिश्चित करना है।’’

भाषा सुभाष रंजन

रंजन

 

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