नई दिल्ली। आज से एक देश, एक विधान, एक निशान के तहत देश के नक्शे पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर जाने जाएंगे। 70 सालों की लंबी जद्दोजहद के बाद पूरे हिंदुस्तान में एक देश, एक विधान और एक निशान का सपना साकार हुआ है।
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बुधवार देर रात गृह मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी करने के साथ ही जम्मू-कश्मीर राज्य अतीत का हिस्सा बन गया और दो नए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख देश के नक्शे पर उभर आए। दोनों ही जगह अलग-अलग प्रशासनिक व्यवस्था होगी। जिसकी कमान राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के तौर पर उपराज्यपाल संभालेंगे। आज जीसी मुर्मू श्रीनगर तो आरके माथुर लद्दाख में उपराज्यपाल की शपथ लेंगे।
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गिरीश चंद्र मुर्मू केंद्र शासित जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के तौर पर श्रीनगर स्थित राजभवन में शपथ ग्रहण करेंगे, जबकि राधाकृष्ण माथुर लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के रूप में लेह में शपथ लेंगे। लद्दाख बिना विधानसभा का केंद्र शासित राज्य होगा, जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी।
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गुरुवार यानि आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं। 6 अगस्त को संसद से पारित जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के मुताबिक जम्मू-कश्मीर 114 सीटों की विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश होगा। बिना विधानसभा वाला लद्दाख सीधे केंद्र से शासित होगा। बता दें कि जम्मू-कश्मीर को बांटकर दो केंद्र शासित प्रदेश के गठन किया गया है। आज यानि 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए नियुक्त लेफ्टिनेंट गवर्नर के शपथ ग्रहण के साथ समारोह की शुरुआत होगी। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की प्रधान न्यायाधीश गीता मित्तल पहले श्रीनगर में जी सी मुर्मु को पद और गोपनियता की शपथ दिलाएंगी। इसके फौरन बाद वह हेलीकॉप्टर से लेह जाएंगी और राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर की शपथ दिलाएंगी। जम्मू में शीतकालीन राजधानी होने के बावजूद केंद्र शासित प्रदेश पुनर्गठन का समारोह श्रीनगर में होगा।
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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ ही आजादी के बाद से चली आ रही कश्मीर समस्या का समाधान होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश पुर्नगठन के लिए सेना, अर्धसैनिक बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
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